✍️✍️ ""बेहतर स्वास्थ्य व बेहतर पर्यावरण"" के लिए पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी ने की शुरुआत
वाराणसी : भारत में विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए ब्रिटिश काउंसिल, अकादमिक के कोवेंट्री विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली, के.जे.सोमैया प्रबंधन संस्थान, सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय और स्वामी समर्थ इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड एवं पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी आफ इंडिया वाराणसी चैप्टर के सहयोग से हो रहे गांव व शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले खेती के कचरे ( गन्ने ,गेहूं अरहर ,धान आदि की कटाई के बाद जड़ की खूंटीया,खुद्दी आदि निस्जृयप्रयोज्य ) की पुनर्संर्चिना कर रहा मैटेरियल तैयार कर गैस जैसे चूल्हे का निर्माण कर ग्रामीणों एवं शहरी महिलाओं एवं बच्चियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खाना पकाने में बहुत ही उपयोगी के लिए शोध कर शीघ्र ही भारतीय बाजार में लाने का प्रयास कर रही है जिसके लिए उक्त शिक्षण संस्थानों के वैज्ञानिकों ने पहली बार भारत पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले वाराणसी शहर अशोका इन्च्यूट इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट कालेज , पहाड़िया और जौनपुर जनपद के ग्रामीण क्षेत्र के ,ग्राम विकास इंटर कॉलेज, खुटहन, शाहगंज) जौनपुर, इस स्कूल में ब्रिटिश काउंसिल परियोजना अनुसंधान निष्कर्ष "बेहतर स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहतर रसोई का चूल्हा" का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर ब्रिटिश काउंसिल, अकादमिक के कोवेंटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ओम कुर्मी, कोवेंट्री विश्वविद्यालय,ने प्रभावशाली छात्राओ- छात्रों के साथ बातचीत कर उनके विचारों एवं अपने अनुभवों का साझा करते हुए से कहा कि वे इन स्थायी समाधानों को अपने परिवार के साथ साझा करें और उन्हें स्वस्थ वातावरण में खाना पकाने के लिए प्रोत्साहित करें। ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा, छात्र -छात्राओ के सोचने कि क्षमता को ग्रामीण क्षेत्र की वर्तमान समस्या युक्त परिस्थितियों की बदल रही है।
इस अवसर पर आई आई टी के वैज्ञानिक के वैज्ञानिक सुधीर त्यागी ने अपने शोध किए हुए गैस चूल्हे एवं उनके ईंधन के विषय में बतलाते हुए कहा कि मेरा मानना है कि ग्रामीण स्कूलों के लिए बहुत सी चीजें करने की जरूरत है जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नवाचार/स्टार्टअप केंद्र स्थापित करना, वे समाधान खोजने के लिए चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। मुझे लगता है कि क्षेत्र के लोगों से बेहतर समाधान कोई नहीं दे सकता। संभवतः भारत में व्यापार स्कूल भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और उद्योग-अकादमिक सहयोग के माध्यम से बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
हमारी परियोजना टीम ने भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के इन दोनों जनपदों का भ्रमण करने के उपरांत यह भी पाया कि ग्रामीण स्कूलों में टिकाऊ प्रथाओं का प्रदर्शन करने की आवश्यकता है। हम सरकार (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) से ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ ऊर्जा, कृषि अपशिष्ट, सौर ऊर्जा आदि का उपयोग करके धुआं मुक्त स्वस्थ वातावरण में मध्याह्न भोजन पकाने को लागू करने का आग्रह करना चाहते हैं, इससे छात्रों को जीवाश्म ईंधन के बिना जीवन का अनुभव मिलेगा। शून्य कार्बन उत्सर्जन भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी हितधारकों के योगदान और समर्थन की आवश्यकता है।
हम ग्रामीण स्कूलों में से एक में धुआं रहित स्वस्थ खाना पकाने वाले 'मिड-डे मील' का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। आशा है कि हमें इसके लिए सरकार से समर्थन मिल सकता है।
परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए ब्रिटिश काउंसिल, अकादमिक सहयोगियों ओम कुर्मी, कोवेंट्री विश्वविद्यालय, डॉ. सुधीर त्यागी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली, के.जे.सोमैया प्रबंधन संस्थान, सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय और स्वामी समर्थ इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड को उनके बहुमूल्य समर्थन एवं सहयोग मिल रहा है । इस अवसर पर के जी सोमैया विघाविहार विश्वविद्यालय के प्रबनंध संकाय के विदेश रिलेशनशीप निदेशक डा सत्येन्द्र उपाध्याय ने इस गैस चूल्हे एवं उसके ईंधन को मार्केटिग पर चर्चा करते हुए बताया कि इस गैस चूल्हे एवं उसके ईंधन पर शोध कार्य पुरा होते ही शीघ्र भारत के बाजार में आ जायेगा।इसके पर पूर्व इस अपने प्रदर्शन के माध्यम से शहरी एवं ग्रामीण जनता का विचार भी जानने का प्रयास कर रही है इसे पूरा होते ही मार्केटिंग का कार्य भी किया जाएगा। उन्हें बताया कि यह गैस चूल्हा शहरी क्षेत्रों में छोटे दैनिक दुकानदारों,ढेले वाले के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब एवं पिछड़े लोगों के लिए काफी लाभदायक होगा। सबसे प्रभावशाली अद्भुत अनुभव छात्रों के साथ बातचीत का था, इस कार्यशाला के आयोजन से प्रसार सत्र में लगभग 3000 छात्र छात्राओं ने भाग लिया, जिनमें से ७०% लड़कियाँ थीं, वे प्रौद्योगिकी, विज्ञान के बारे में जानने के लिए बहुत आश्वस्त और उत्सुक थे और उन्होंने काफी शानदार प्रश्न पूछे। उनमें से अधिकांश उच्च शिक्षा हासिल करने और करियर में आगे बढ़ने के इच्छुक थे, उनमें से कुछ अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में रुचि रखते थे जो निश्चित रूप से दशकों पहले आम नहीं था।
कार्यक्रम को सफल आयोजन के लिए वाराणसी शहर की अशोका इन्च्यूट आफ इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट कालेज की निदेशिका सारिका श्रीवास्तव एवं उनके विभागाध्यक्ष एवं जौनपुर जनपद के ग्राम विकास इण्टर कालेज प्रबंधक रमेश चंद्र यादव, प्रधानाचार्य अरविंद कुमार, सहायक प्रबंधक श्रीराम कुमार, सहायक ईश्वर देव यादव, संचालक, लालजी यादव और एनसीसी अधिकारी डॉ. सुनील कांत तिवारी, जीवीआईसी; पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी आफ इंडिया वाराणसी चैप्टर के चेयरमैन अनिल के जाजोदिया एवं सचिव प्रदीप कुमार, पी आर एसआई की उपस्थिति रही। वैज्ञानिकों की यह टीम शहर के बाबतपुर स्थित सेठ एम आर जैपुरिया स्कूल का भ्रमण किया ।जहां इन वैज्ञानिकों का स्वागत संस्थान के निदेशक अनिल के जाजोदिया एवं प्रधानाचार्य सुधा सिंह ने अंगवस्त्रमं एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया।
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