✍️✍️ वैवाहिक परिवाद में पति की जमानत अर्जी खारिज
""अदालत में वादीनि की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता महेन्द्र मोहन मिश्र व आलोक पाठक ने जमानत प्रार्थना पत्र का घोर विरोध किया""
👉 परिवादिनी की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपनी आपत्ति दाखिल कर कथन किया गया है कि अभियुक्त नितिश अग्रवाल द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर अपने जमानत प्रार्थनापत्र पर वाराणसी क्षेत्राधिकार होते हुए लखनऊ लिखते हुए दाखिल किया गया है, जो निरस्त होने योग्य है। इसके अतिरिक्त जमानत प्रार्थनापत्र में अन्तर्गत धारा 66 आई.टी. एक्ट का जिक्र नहीं था और बिना माननीय न्यायालय की अनुमति के जमानत प्रार्थनापत्र दाखिल करने के उपरांत धारा 66 आई.टी. एक्ट की बढ़ोतरी की गई है। जमानत प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न शपथपत्र सहअभियुक्त राजीव अग्रवाल का लगाया गया है और नियम विरुद्ध है। अभियुक्त के पिता की जमानत कराई जा चुकी है और जिस दिन अभियुक्त के पिता की जमानत हो रही थी उसी दिन अभियुक्त द्वारा परिवादिनी के पिता के साथ न्यायालय परिसर में मारपीट की गई,जिसके संबंध में अभियुक्त के विरुद्ध मु अ सं 217/2024 अन्तर्गत धारा 323,504,506 भा दं सं थाना कैंट वाराणसी में दर्ज है।
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