✍️✍️ कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस नहीं दर्ज कर रही एफआईआर
""सारनाथ पुलिस अपने ही विभाग के सिपाही के खिलाफ नहीं कर रही कार्यवाही""
""पीड़िता लगा रही थाने का चक्कर, नहीं हो रही सुनवाई""
वाराणसी। कमिश्नरेट की पुलिस इस समय तानाशाह हो गई है। उसे कोर्ट के आदेश की अवमानना का भी डर नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल सारनाथ थाने की पुलिस का भी है। जो कोर्ट के आदेश के 23 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की और रोज पीड़िता थाने का चक्कर लगाने को विवश है।
👉 बता दें कि सारनाथ थाना क्षेत्र के बुद्धा सिटी फेज 1 कालोनी की रहने वाली पीड़िता ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की कोर्ट में बीएनएनएस की धारा 173(4) के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि उसके पति ने कुछ साल पहले उसे छोड़ दिया था। जिसके बाद उसका परिचय ग्राम डोमनपुरा, मुहम्मदाबाद, गाजीपुर निवासी मोहम्मद यासीन, जो उप्र पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है, से हुआ। इस दौरान यासीन प्रार्थिनी को शादी का प्रलोभन देते हुए तथा दोनों बच्चों को स्वीकार करने का आश्वासन देते हुए प्रार्थिनी के इच्छा के विरूद्ध प्रार्थिनी के साथ कई बार दुष्कर्म किये। प्रार्थिनी द्वारा शादी हेतु कहने पर मोहम्मद यासीन 19 मार्च 2019 को नोटरी के समक्ष 10/- रूपये के स्टाम्प पेपर पर एक शपथपत्र शादी के बाबत लिखकर दिया गया। साथ ही प्रार्थिनी के इच्छा के विरूद्ध मोहम्मद यासीन ने कई बार बलात्कार किया तथा मोहम्मद यासीन व उसका पूरा परिवार साजिश के तहत प्रार्थिनी का धर्म परिवर्तन कराकर 07 मार्च 2019 को नया नाम से निर्वाचन कार्ड व आधार कार्ड बनवाया गया। इस दौरान यासीन के परिवार वाले धोखाधड़ी व जालसाजी करते हुए 20 नवंबर 2019 को मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार सारनाथ स्थित एक गेस्ट हाउस से शादी कराया गया। इस बीच मोहम्मद यासीन प्रार्थिनी को धोखा देकर करीब 50 लाख रूपये मकान खरीदने हेतु कई किश्तों में लिये ओर देखा देकर मोहम्मद यासीन मकान अपने नाम से ले लिये तथा प्रार्थिनी के नाम कार खरीदने हेतु पैसा लिये और प्रार्थिनी के पैसे से ही स्वीफ्ट कार भी अपने नाम से खरीद लिये। इस दौरान जब प्रार्थिनी द्वारा मकान व कार अपने नाम करने हेतु कहने पर मोहम्मद यासीन प्रार्थिनी को गंदी-गंदी गालियां व जान से मारने की धमकियां तथा दोनों बच्चों का अपहरण कर हत्या कर देने की धमकियां देने लगा। इस बीच 19 दिसंबर 2024 को समय सायं लगभग 06:50 बजे म्यूजियम चौराहे पर स्थित चाय की दुकान के पास प्रार्थिनी व उसका रिश्तेदार चाय पी रहे थे, तभी मोहम्मद यासीन सारनाथ की पुलिस को साजिश के तहत लेकर आया और प्रार्थिनी की गाड़ी को जबरदस्ती यह कहते हुए ले गया कि उक्त वाहन का पंजीकरण मेरे नाम से है, भले ही किश्त तुमने भरा है, मालिक मैं हूँ। साथ ही उसे घर से भी बेघर करने की धमकी देते हुए वहां से चला गया। इसकी शिकायत पुलिस से करने पर जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो पीड़िता ने अदालत की शरण ली। जिस पर अदालत ने बीते एक मार्च को सारनाथ थाना प्रभारी को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन आदेश के 23 दिन बीतने के बाद भी अभी तक सारनाथ पुलिस अपने ही विभाग के सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली कर रही है।

Comments
Post a Comment