✍️बर्खास्त डिप्टी एसपी अमरेश सिंह बघेल की जमानत याचिका खारिज


       
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👉 रवि प्रकाश श्रीवास्तव विधिक संवाददाता

वाराणसी:- बलात्कार पीड़िता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के पास तत्कालीन सीओ भेलूपुर अमरेश सिंह बघेल, सांसद अतुल राय पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर सहित अन्य पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए आत्मदाह किया गया था। जांच में तत्कालीन सीओ अमरेश सिंह बघेल को दोषी पाते हुए उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर उन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उपरोक्त मामले में बर्खास्त सीओ अमरेश सिंह बघेल द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र जिला व सत्र न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने नामंजूर करते हुए खारिज कर दिया। बर्खास्त सीओ द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध जिला शासकीय अधिवक्ता आलोक चंद्र शुक्ला ने किया ।बादी मुकदमा प्रभारी निरीक्षक थाना - लका , महेश पाण्डेय ने दिनांक 30 सितंबर 2021 को इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट अकित करायी कि दिनांक 29 सितंबर 2021 को पुलिस आयुक्त महोदय के गोपनीय पत्र संख्या के साथ अपर पुलिस उपायुक्त मुख्यालय की जाँच आख्या दिनांक 26 सितंबर 2021 की प्रति प्राप्त हुई । उक्त दोनों प्राप्तशुदा प्रपत्रों के अनुक्रम में उन्हें यह प्रमाणिक रूप से स्पष्ट हो रहा है कि निलंबित पुलिस उपाधीक्षक अमरेश सिंह बघेल , तत्कालीन क्षेत्राधिकारी भेलूपुर द्वारा थाना लंका पर प्रतिवादी अतुल राय के विरुद्ध पंजीकृत अपराध संख्या 548 / 2019 धारा 420,376 , 504 , 506 भा ० द ० सं ० से संबंधित एक जाँच में अभियुक्त अतुल राय को बलात्कार के दण्ड से बचाने के आशय से लोक सेवक अमरेश सिंह बघेल द्वारा अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में अपूर्ण व निराधार अभिलेखों की रचना की गयी । इसके अतिरिक्त उक्त अभियोग के विचारण में लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से विधिक एवं तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण आख्या तैयार किया जाना भी पाया गया है । अमरेश सिंह बघेल के उपरोक्त कृत्यों से क्षुब्ध होकर मृतका प्रिया राय व गवाह मृतक सत्यम प्रकाश राय द्वारा आत्महत्या किया गया एवं सोशल मीडिया में इसके लिए अमरेश सिंह बघेल को दोषी ठहराया गया था। जो उक्त दोनों मृतकों के आत्महत्या के दुष्प्रेरण के दोषी हैं । न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद उपरोक्त तथ्यों के विधिक परिशीलन से निलंबित पुलिस उपाधीक्षक अमरेश सिंह बघेल के द्वारा भा ०० सं ० की धारा 193,218,219,306 मा ० द ० सं ० का अपराध कारित किया जाना स्पष्ट हो रहा है , जो संज्ञेय प्रकृति का अपराध है। आरोपी द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है।

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