✍️भ्रष्टाचार में दोषसिद्ध अभियुक्त को सश्रम कारावास


वाराणसी
:- विशेष न्यायाधीश (भ्र०नि०अ०) कोर्ट संख्या प्रथम अवनीश गौतम की अदालत ने भ्रस्टाचार के आरोप मे अभियुक्त राम दुलार (अनुदेशक / प्रभारी सहायक प्रवेधक कार्यालय, जिला प्रबन्धक अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम बलिया) सिद्वदोष होने पर तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं रूपये दस हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई। अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा।

👉अभियोजन कथानक यह है कि बादी मुकदमा हरिनाथ यादव तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी है, दिनांक 28 सितम्बर 2007 को वीरेन्द्र भारती पुत्र रामकरन राम निवासी ग्राम रजवार वीट बांसडीह जनपद बलिया ने वादी पुलिस उपाधीक्षक हरिनाथ यादव के समक्ष कार्यालय पुलिस उपाधीक्षक भ्रष्टाचार निवारण संगठन पर उपस्थित आकर एक प्रार्थनापत्र दिनांकित प्रस्तुत किया। प्रार्थनापत्र के अनुसार वह कस्बा बॉसडीह में गुमटी में जूता रिपेयर पालिस व बेचने का काम करके अपना जीविकोपार्जन करता है। प्रार्थी के पिता भी रामकरन राम ने उ० प्र० अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम से अपने ही गाँव रजवार बीट में दुकान बनवाने हेतु अनुदान का ऋण हेतु आवेदन किया है जिससे में अपने दुकान पर अपने जूते का व्यवसाय कर सकूँ उसके पिता काफी वृद्ध हैं। वह ही अपने पिता जी की तरफ से पैरवी कर रहा है क्योंकि उसको ही उस बनने वाली दुकान पर व्यवसाय करना है। उसके पिताजी की पूरी फाइल तैयार है केवल चेक करना है। चेक जारी करने का कार्य उ० प्र०. अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के सहायक प्रबन्धक आर. डी. सिंह को करना है। वह आर. डी. सिंह से कई बार मिल चुका है। श्री सिंह चेक जारी हेतु उक्त ऋण में अनुदान की राशि 6000/- रिश्वत मांग रहे हैं। उसने अपनी गरीबी का हवाला दिया तो कहे कि बिना व्याज तुम लोगों को अडतीस हजार रुपया मिल रहा है। उसमें से भी मात्र बत्तीस हजार रूपया वापस करना है। बिना छ हजार रूपया जो छूट है लिये चेक नहीं काटूंगा।

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