✍️ 10 वर्षों बाद पीड़िता को न्यायालय से मिला न्याय


वाराणसी:विशेष न्यायाधीश (पास्को)/ अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनुतोष कुमार शर्मा की अदालत ने लगभग 10 वर्षों से पीड़ित पीड़िता के प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 156 (3) को परिवाद के रूप में पंजीकृत करने का आदेश देकर न्याय दिया। 
पीड़िता ने अपने फौजदारी वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर सिंह के जरिए 156 (3) से परिवाद दाखिल किया, जिसमें माननीय न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता की वृहद दलीलों को सुनने के बाद प्रार्थना पत्र को परिवाद के रूप में पंजीकरण करने का आदेश दिया एवं पत्रावली वास्ते बयान परिवादी अंतर्गत धारा 200 की तिथि नियत कि। 
प्रार्थना पत्र में यह कथन कहा गया कि प्रार्थीनी की शादी विपक्षी राममिलन पुत्र स्वर्गीय तुलसी निवासी ग्राम बरक्षा रंजीतपुर चिलबिला प्रतापगढ़ से सन 2012 में लगभग 13 वर्ष की उम्र में वाराणसी में हुई थी। उस समय पति राममिलन की उम्र 32 वर्ष था। एक माह तक सब कुछ ठीक-ठाक रहा उसके बाद शादी में मोटरसाइकिल ना मिलने की वजह से प्रार्थीनी के पति के द्वारा आए दिन प्रताड़ित किया जाने लगा। प्रार्थीनी गर्भवती थी, के साथ मारपीट की जाती थी। शादी के पांच महीने बाद मारपीट कर गर्भवती हालत में पति द्वारा घर से निकाल दिया गया। पति से लगभग 9 वर्ष का एक पुत्र है, जिसका राम शरद है। मायके में तीन साल बाद पति राममिलन घुमाने के बहाने बाजार लेकर गए और वहां आइसक्रीम में नशे की दवा देकर बेहोश कर दिया। प्रार्थीनी की जब आंख खुली तो प्रार्थीनी ने देखा कि एक कमरे के नीचे लगे बिस्तर पर नग्न अवस्था में पड़ी थी और बैजनाथ पुत्र रामदास निवासी पहाड़पुर पोस्ट सिंधिया जिला समस्तीपुर थाना सिंघिया बिहार मेरे बगल में सो रहा था। उस समय प्रार्थीनी की उम्र 17 वर्ष थी। प्रार्थीनी के विरोध करने पर कहने लगा कि तुम अब घर नहीं जा सकती हो तुम्हें मैं काफी दिनों से पसंद करता हूं,70000 रुपया तुम्हारे पति राममिलन को दिया हूं। बैजनाथ द्वारा जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया जाता रहा। इसी बीच प्रार्थीनी गर्भवती हो गई। यह बात जानकर विपक्षीगण बैजनाथ, शिवनाथ दास, राम बहादुर व तीन अज्ञात द्वारा शीतला माता मंदिर मिर्जापुर में जबरदस्ती शादी राममिलन की उपस्थिति में कराई गई। बैजनाथ द्वारा शादी के दूसरे दिन ही अस्पताल ले जाकर शादी का फोटो दिखा कर अपनी पत्नी बताकर जबरजस्ती गर्भपात करा दिया गया। शादी के छ वर्ष बाद बैजनाथ के फोन पर एक ही नंबर से बार-बार फोन आता रहा, जिसको प्रार्थीनी द्वारा उठाया गया, बात की गई तो पता चला कि बैजनाथ पहले से ही शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं। दिनांक 17.04.2022 को सुनीता देवी पत्नी बैजनाथ कमरे पर आई और प्रसाद के रूप में एक लड्डू खाने को दिया। तबियत बिगड़ने लगी, डॉक्टर के द्वारा बताया गया कि जहर खिलाया गया है। बैजनाथ मोबाइल से सारे सबूत डिलीट करके सोने व चांदी के सारे जेवरात लेकर अपनी पत्नी के साथ बिहार भाग गए। विपक्षीगण द्वारा प्रार्थीनी का शारीरिक, मानसिक शोषण लगभग 13 वर्ष की उम्र से किया जाता रहा है, जिस समय प्रार्थीनी नाबालिग थी।

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