✍️ SC/ST Act में अभियुक्त की जमानत मंजूर

अंकुर पटेल

वाराणसी:  विशेष न्यायालय (एस०सी०/ एस०टी०) एक्ट के न्यायाधीश ने अभियुक्त शिवकुमार मौर्य उर्फ रामकुमार पुत्र खरपतृ निवासी नई बस्ती सिंहाबीर थाना रामनगर जिला वाराणसी को अन्तर्गत धारा 323, 504, 506 भा0दं०सं० एवं धारा 3(1) (10) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में जमानत दे दी।
👉बचाव पक्ष की ओर से अदालत में अधिवक्ता श्रीकान्त प्रजापति व संजय कुमार विश्वकर्मा ने पक्ष रखा।
 👉अदालत में अभियुक्त के अधिवक्ता ने तर्क रखा गया कि उसे गलत ढंग से झूठा फंसाया गया है तथा उसके द्वारा कोई मारपीट नहीं की गयी और न ही गाली व जान से मारने की धमकी दी गयी और न ही जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया।
👉संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि परिवादी कैलाश नाथ पुत्र स्वo जीऊत राम निवासी मकान नम्बर 1/272 नई बस्ती बघेली टोला थाना रामनगर जिला वाराणसी द्वारा अभियुक्तगण शिवकुमार मौर्या, राजकुमार मौर्या, हीरा वर्मा, रामजनम यादव, शिवचरन रामजन्म सिंह तथा चार अज्ञात के विरूद्ध न्यायालय में प्रार्थनापत्र धारा 156 (3) द०प्र०सं० के अन्तर्गत इस कथन के साथ प्रस्तुत किया गया कि वह अनुसूचित जाति का चमार है तथा अभियुक्तगण पैसे वाले तथा लठैत किस्म के व्यक्ति हैं। घटना दिनांक 21-01-2017 को समय करीब 400 बजे शाम की है कि अभियुक्त शिव कुमार मौर्या, राज कुमार मौर्या, राम जनम यादव, शिवचरन तथा उनके चार व्यक्ति अज्ञात जिसको देखकर पहचान सकता है, उसके घर पर आये और उसे जबरदस्ती अपने साथ उठाकर वहां पर ले गये जहां पर उसके पहले से ही जमीन मालिक मंगल सोनी पुत्र स्व० मुकुन्द के प्लाट पर कुछ मजदूर रखकर अपने देख-रेख में कार्य कराता चला आ रहा है। अभियुक्तगण उसको माँ-बेटी की भद्दी-भद्दी गाली देते हुए तथा चमार सियार कहकर अपमानित करते हुए लात घूसा थप्पड़ से मारे-पीटे तथा उसका कपड़ा फाड़ दिये और उसके जेब से दो सौ रूपया नगद तथा हाथ की कलाई घड़ी जबरजस्ती छीन लिए और कहे कि साले चमार सियार चमार चिल्ली के जाति दूसरे की जमीन का मालिक बनकर रखवाली कर रहे हो, दोबारा यहां पर दिखाई दिये तो जान से मारकर गंगा नदी में फेक दिया जायेगा। उसके शोर गुल पर पास पड़ोस के जितेन्द्र कुमार सिंह, जवाहिर यादव, मंगला प्रसाद व अन्य बहुत से लोग मौके पर इकट्ठा हो गये। घटना को देखा तथा बीच-बचाव किया। अभियुक्तगण जाते-जाते यह धमकी दिये कि वह यदि घटना की रिपोर्ट दर्ज करायेगा तो उसे भविष्य में अच्छा सबक दिखायेगें, कि वह जीवन भर याद करेगा। अभियुक्तगण के भय के कारण दूसरे दिन थाना रामनगर पर घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने गया, वहां पर उसकी रिपोर्ट यह कह कर नहीं लिखी गयी कि पहले वह सरकारी अस्पताल में डाक्टरी मुआयना करावे तब रिपोर्ट लिखी जायेगी। वह दिनांक 23-01-2017 को अपनी चोटो का डाक्टरी मुआयना सरकारी अस्पताल श्री शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय वाराणसी जाकर कराया तथा पुनः मेडिकल रिपोर्ट लेकर थाने पर रिपोर्ट लिखाने गया, लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। उसने दिनांक 30-01-2017 को घटना की रिपोर्टके बाबत एक प्रार्थना-पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी को जरिये डाक रजिस्ट्री प्रेषित किया, इसके बावजूद भी अभियुक्तगण के विरूद्ध कोई कानूनी कार्यवाही न होने के कारण उसने न्यायालय में धारा 156 (3) दं०प्र०सं० के अन्तर्गत प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया जो सुनवायी के उपरान्त परिवाद में दर्ज कर साक्ष्योपरान्त अभियुक्त / आवेदक को धारा 323, 504, 506 भा०दं०सं० एंव धारा 3 (1) (10) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रथम दृष्ट्या अपराध के लिये तलब किया गया।
👉माननीय न्यायाधीश द्वारा दोनो पक्षों जिला शासकीय अधिवक्ता व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया।

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