✍️✍️ कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज, विवेचना शुरू
👉बता दें कि वादिनि ने अपने अधिवक्ता हरिशंकर सिंह व आलोक पाठक के जरिए धारा 156(3) माननीय न्यायलय में दाखिल किया था जिस में वादिनि द्वारा कथन किया गया की आराजी - 2805 रकबा 0.030 हे बाबत सनी 1430 ता 1435 स्थित मौजा करधना परगना कसवार राजा तहसील राजातालाब जिला-वाराणसी के प्रार्थिनी के पिता स्व० राजेन्द्र प्रसाद व चाचा सूर्यबली के नाम दर्ज है। प्रार्थिनी उक्त खतौनी में सहखातेदार राजेन्द्र प्रसाद की पुत्री होने के हैसियत से यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर रही है। उक्त आराजी नम्बर के साथ मजकूर के आराजी न०- 2805 का फर्जी बैनामा प्रार्थिनी के चाचा सूर्यबली ने अपने नाबालिग पुत्री निलेश को धोखाधड़ी, जालसाजी व कूटरचना करके करा दिया है। जिसका कैंसिलेशन वाद माननीय न्यायालय सिविल जज (जू०डि०) हवाली वाराणसी मु० सं० 4548 सन् 2022 श्याम बनाम सूर्यबली दाखिल है जो माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। विपक्षीगण एक साजिश के साथ एक किता प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 34 आर .सी के तहत दाखिल किया जिस पर आवेदक का हस्ताक्षर नहीं है। मुकदमा अदम पैरवी में खारिज होने के बाद एक किता तजवीजसानी प्रार्थना पत्र निलेश के नाम से दिनांक 01.02.2023 को प्रस्तुत किया है जिस पर तजाबिसानीकर्ता के रूप में निलेश का हस्ताक्षर बनाया है जो फर्जी व धोखाधड़ी व कूटरचित करके बनाया गया है। निलेश तजवीजसानीकर्ता की मृत्यु सन् 2010 में हो गयी थी। विपक्षीगण द्वारा उक्त बैनामा वंशराज से कमिशन द्वारा गंगापुर टाउन एरिया में कराया गया है जबकि विक्रेता अपने घर करधाना से 15 किमी दूर से आ सकता है जो गंगापुर कार्यालय उपनिबन्धक के यहां से करा सकता था जबकि गंगापुर कार्यालय व टाउन एरिया गंगापुर की दूरी महज 30 मीटर है जो विपक्षीगण के आपराधिक धोखाधडी मानसिकता को दर्शित करता है। उक्त घटना के सम्बन्ध में प्रार्थिनी द्वारा थाना प्रभारी राजातालाब के यहाँ प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुयी तब प्रार्थिनी ने उक्त घटना के सम्बन्ध में पुलिस आयुक्त पुलिस कमिश्नरेट, वाराणसी के यहां दाखिल किया जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। विपक्षीगण के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किये जाने की याचना की गई है।
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