✍️✍️ अमानत में खयानत के दो मामलों में आरोपी की अग्रिम जमानत मंजूर
👉बता दे की थाना जैतपुरा में ही दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 38/2024 अमानत में खयानत के एक और मामले में भी अभियुक्त को विशेष न्यायालय (भ्र.नि.अधि) के न्यायाधीश रजत वर्मा ने भी अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
""बचाव पक्ष की ओर से अदालत में अधिवक्ता अजय कुमार गेठे ने पक्ष रखा""
👉 अभियोजन कथानक संक्षेप में इस प्रकार है कि वादी मो० परवेज खान ने न्यायालय ए०सी०जे० (जू०डि०) / जे०एम० कोर्ट संख्या-7 वाराणसी में प्रार्थनापत्र अंतर्गत धारा-156 (3) दण्ड प्रक्रिया संहिता प्रस्तुत किया कि अब्दुल वाहीद, मो० शहीद का मो० रिजवान, नफीस अहमद के साथ एक अनुबन्ध दिनांकित-01.10.2018 को तहरीर हुआ कि मकान नं० जे 19/56 जमालुद्दीन बड़ी बाजार वाराणसी को लिखी शर्त के मुताबिक बनाकर बिल्डर्स रिजवान व नफीस 12 माह के अन्दर भवन कम्पलीट कराकर जायदाद मालिक अब्दुल वाहिद व मो० शहीद के पक्ष में पूरा करा देगे। बिल्डर्स भूतल, प्रथम तल, द्वितीय तल कुल तीन मंजिल तक निर्माण करायेगा और पूरी निर्मित भवन मे जायदाद मालिकान व बिल्डर कान्ट्रैक्टर के बीच यह तय हुआ कि ग्राउण्ड फलोर में दुकान व गोदाम का निर्माण होगा जिसमें आबाद होने वाले किरायेदारो से पगड़ी नजराना लेकर द्वितीय पक्ष बिल्डर्स किरायेदार आबाद करेगा और द्वितीय पक्ष किरायेदारो का किराया मार्केट वैल्यू के हिसाब से तय करेगा। इस हिस्से के जायदाद से जायदाद मालिक का कोई वास्ता व सरोकार नही रहेगा। बिल्डर्स कान्ट्रैक्टर मो० रिजवान व मो० नफीस ने दिनांक 05.03.2019 को परिवादी के साथ अपने हिस्से व कुर्रे आई एक दुकान ग्राउण्ड फलोर स्थित कटरे के अन्दर बांयी तरफ आगे से तीसरी दुकान अंतर्गत मकान नं0- जे 19/56 जमालुद्दीन बड़ी बाजार वाराणसी बेचने की बात सात लाख रुपए में तय किया व बतौर एडवांस दो लाख रुपए रूबरू गवाहान परिवादी से रिजवान व नफीस ने प्राप्त किया एवं समय समय पर अब तक कुल सात लाख प्राप्त किया लेकिन वादे के मुताबिक उक्त दुकान मे अभियुक्तगण द्वारा न तो शटर लगाया गया और न ही कब्जा दखल दिया गया। अब्दुल वाहिद, शहीद व रिजवान एवं नफीस अहमद आपस में षडयंत्र करके परिवादी का सात लाख रूपया गबन करने की नियत से व कूटरचित व फर्जी कागज बनाकर परिवादी के साथ इकरारनामा किया। परिवादी को अभियुक्तगण द्वारा न तो दुकान और न ही पैसा दिया गया और परिवादी को उनके द्वारा यह भी धमकी दिया जाता है कि परिवादी का पैसा व दुकान नहीं देगे।
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