✍️✍️ मीरघाट गोलीकांड में थानाध्यक्ष दशास्वमेध को कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश
वाराणसी: अपर सिविल जज (सी.डि)/अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अलका की अदालत ने पीड़िता सुमन यादव की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा (175)3 बीएनएसएस को स्वीकार करते हुए थानाध्यक्ष दशास्वमेध वाराणसी को समुचित धाराओं के प्रकाश में अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार विवेचना किया जाना सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
👉 बता दे की पीड़िता ने माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा (175)3 बीएनएसएस वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी व मयंक मिश्रा के जरिए दाखिल किया था, जिसमें कथन कहा गया कि दिनांक 30.06.2024 को दोपहर करीब 12 बजे प्रार्थिनी का पुत्र गोविन्द यादव, विजय यादव पुत्र स्वर्गीय सुखदेव प्रसाद यादव निवासी मकान नम्बर डी-3/70 मीरघाट, थाना दशाश्वमेध, जिला वाराणसी द्वारा पूर्व के एक विवाद में पंचायत के लिए बुलाने पर उसके घर की तरफ जा रहा था कि पूर्व से की गयी साजिश व षड्यन्त्र के तहत गोविन्द यादव को मीरघाट की गली में देखते ही विजय यादव, उसके तीनों लड़के गोलू यादव, पुन्ना यादव व सुमित यादव, उसकी पत्नी नाम अज्ञात, अजय यादव पुत्र सुखदेव, चिकू पुत्र अज्ञात, आर्यन पाण्डेय पुत्र अज्ञात, अजय यादव अज्जू की पत्नी नाम अज्ञात, विजय यादव के परिवार की दो-तीन लड़कियाँ नाम अज्ञात व चार-पाँच अन्य अज्ञात लोग नाम पता अज्ञात ने एकराय होकर ईट, पत्थर, लाठी, डण्डा, राड, असलहे से लैस होकर गोविन्द यादव को जान से मार डालने की नियत से उस पर जानलेवा हमला कर दिया और उसे गली में ही पटक कर राड, पटिया आदि से मारने- पीटने के बाद उसे घसीट कर घर के अन्दर ले गये उसके बाद गोलू यादव, गोविन्द यादव के सिर पर राड से, पुन्ना यादव सिर पर पटिया से, विजय यादव ईट से कान पर, सुमित यादव असलहे से फायर करने लगा, रजनी सिलबट्टा से मारने लगी, जबकि किरन गोविन्द की आँख फोड़ने के लिए चम्मच से दांयी आँख में वार करने लगी, आर्यन पाण्डेय व चिकू तथा विजय यादव के घर की दो-तीन लड़कियाँ भी लाठी व डण्डा से व लात-मुक्का से बुरी तरह मारने-पीटने लगी, मुँह नोचने लगी, सीने के बाल नोचने लगी। गोविन्द पूरी तरह खून से लथपथ हो गया लेकिन सभी लोग उसे मार डालने की मंशा से मारते रहे। सुमित ने गोविन्द को मारने के लिए फायर भी किया। गोविन्द की जान पर खतरा देख गली के 'लोगों ने पुलिस को सूचना दिया जिस पर पुलिस आयी तब गोविन्द यादव की जान बच पायी। पुलिस ने गोविन्द यादव की गम्भीर स्थिति देखते हुए उसे बी. एच.यू. स्थित ट्रामा सेन्टर में भर्ती किया जहाँ गोविन्द को करीब 31 टाका लगाकर किसी तरह जान बचायी जा सकी। समस्त प्रपत्र पुलिस व ट्रामा सेन्टर बी.एच.यू., वाराणसी के पास मौजूद है। पुलिस ने ही गोविन्द का मेडिकल मुआयना भी श्री शिवप्रसाद गुप्त अस्पताल (कबीरचौरा अस्पताल, वाराणसी) में कराया। आघात आख्या पुलिस के पास है। उपरोक्त लोगों के मारने से गोविन्द को सिर सहित शरीर के कई हिस्सों में कई प्राणघातक चोटें आयी। अगर मौके पर पुलिस नहीं आती तो गोविन्द की वहीं मौत हो जाती। ट्रामा सेन्टर में दवा इलाज के बाद पुलिस ने एकतरफा कार्यवाही करते हुए गोविन्द को फर्जी मुकदमें में फर्जी ढंग से गिरफ्तार दिखाकर जेल भेज दिया। विजय यादव हिस्ट्रीशीटर है तथा उसके उपरोक्त तीनों लड़के भी आये दिन आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। उन लोगों का अपना एक गैंग गिरोह है जो सरेआम घर में घुसकर लड़कियों के साथ असलहे के बल पर छेड़खानी व बदतमीजी करते हैं लेकिन उनके डर से न उनके खिलाफ कोई गवाही देता है न उनके खिलाफ कोई कार्यवाही होती है। घटना का सी.सी.टी.वी. फुटेज व खून से लथपथ गोविन्द यादव की फोटो वायरल होने के बावजूद पुलिस द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं किया किया गया। खून से लथपथ गोविन्द की फोटो संलग्न है। यह कि अभियुक्तगण द्वारा कारित अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। अभियुक्तगण न तो नाबालिग हैं और न ही सरकारी कर्मचारी ही हैं। घटना के सन्दर्भ में प्रार्थिनी द्वारा पहले थाना दशाश्वमेध, वाराणसी पर, फिर पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट, वाराणसी को मिलकर प्रार्थना पत्र दिया गया। पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट, वाराणसी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश देने के बावजूद थाना दशाश्वमेध, वाराणसी की पुलिस द्वारा अब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।
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