✍️✍️ थानाध्यक्ष को कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश
वाराणसी: अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ धर्मेंद्र कुमार यादव की अदालत ने पीड़ित मो युनूस द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 173(4) बीएनएसएस को स्वीकार करते हुए थानाध्यक्ष लोहता को आदेशित किया कि प्रार्थना पत्र में उल्लेखित तथ्यों के सन्दर्भ में अभिलंब अभियोग पंजीकृत करने के उपरांत नियमानुसार विवेचना किया जाना सुनिश्चित करें।
"" बता दे की पीड़ित मो युनूस ने माननीय न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 173 (4) बीएनएसएस अपने वरिष्ठ अधिवक्ता गजानंद तिवारी व सहयोगी अधिवक्त घनश्याम शर्मा, सरिता मौर्य व यशमय उपाध्याय के जरिए दाखिल किया गया था ""
👉 कथन में कहा गया कि दिनांक 21.09.2024 को करीब सात बजे शाम को विपक्षीगण कुद्दूस व मुर्सित उर्फ छेदी पुत्र स्व० लजीज व एजाज अहमद व नियाज, रेयाज गौस व सेराज, मेराज, इमरान, इब्राहिम व सलमान उपरोक्त विपक्षीगण प्रार्थी के घर के बाहर पुरानी रंजिश को लेकर 112 नंबर पुलिस के साथ आकर प्रार्थी के घर के बाहर भद्दी-भद्दी गाली देने लगे और जब प्रार्थी घर में से बाहर निकला तो प्रार्थी को विपक्षीगण लाठी-डण्डा व धारदार हथियार से लैस होकर पीटने लगे। प्रार्थी के शोर गुल करने पर प्रार्थी का परिवार घर में से बाहर आया तो प्रार्थी व प्रार्थी के घर वालों को भी मारने पीटने लगे। विपक्षीगण के मारने से प्रार्थी व उसके परिवार वालों को बाहरी व अन्दरूनी चोटे आयी तथा जब प्रार्थी की पुत्री शाहिस्ता परवीन बीच बचाव करने आयी तो विपक्षीगण जान से मारने की धमकी देते हुए प्रार्थी के पुत्री के सीने व छांती पर हाथ फेरने लगे और प्रार्थी की पुत्री का कपड़ा भी फाड़ दिये। घर का सामान भी उठाकर घर से बाहर फेक दिये। प्रार्थी के भतीजा मो. कैश मो. फैसल व प्रार्थी के पुत्र नवाज शरीफ के हाथ में भी मारे पीटे जिससे प्रार्थी के पुत्र का हाथ टूट गया है व मो. कैश के हाइड्रोशिल को दबा दिये जो अभी तक बेहोश है व मो. फैसल को भी सर पर काफी गहरा चोट आया। प्रार्थी के पुत्री के शाहिस्ता परवीन के गले में से सोने का चैन भी छीन लिए।
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