✍️✍️ हत्या के मामले में आरोपी दोषमुक्त
वाराणसी: अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एससी/एसटी एक्ट) के न्यायाधीश देव कांत शुक्ला की अदालत ने थाना कैंट में दर्ज हत्या व एससी/एसटी एक्ट के एक मामले में आरोपी गिरधारी कुशवाहा पुत्र रामजनम निवासी ग्राम बाघी करंडा जिला गाजीपुर को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।
"" अभियुक्त की ओर से अदालत में वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता संतोष कुमार मौर्य व सहयोगी अधिवक्ता मीरा यादव एवं पुष्पा चौबे ने पक्ष रखा ""
👉 अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी मुकदमा सुनील कुमार पुत्र रामलक्षन ग्राम सरौली उर्फ पहेतीया थाना जंगीपुरा जिला गाजीपुर द्वारा प्रभारी निरीक्षक थाना-कैण्ट, जनपद वाराणसी को इस आशय की तहरीर दी गयी कि उसके पिता रामलक्षन सर्किट हाउस, वाराणसी में मजदूरी का काम पिछले लगभग दो माह से सुपरवाइजर धर्मेन्द्र सिंह बघेल के अण्डर में काम कर रहे थे। मुझे पैसे की आवश्यकता पड़ने पर चार दिन पहले मैं यहाँ आया हूँ। मैं भी अपने पिता जी के साथ सर्किट हाउस में मजदूरी का काम करने लगा तथा मैं व हमारे पिता जी पाण्डेयपुर में किराये के मकान में रह रहे थे। हमलोगों के साथ गिरधारी कुशवाहा पुत्र रामजनम निवासी ग्राम बाघी, थाना करण्डा, जिला गाजीपुर भी काम करता था। जिस दिन में काम करने आया था, उसी दिन गिरधारी एक आदमी के उपर गैती मारने के लिये तान दिये थे। मैं गिरधारी को रोक दिया था, जिससे गिरधारी हमसे नाराज हो गया और कहा कि हम तुमको जान से मार देंगे। दिनांक 01.02.2020 को समय लगभग 05:15 बजे के समय काम खत्म करके मैं तथा हमारे पिता जी व सतेन्द्र बारी पुत्र सत्यनारायन बारी तथा वहाँ पर चौकीदार अयोध्या कुमार व अन्य मजदूर थे। गिरधारी जान से मारने की नियत से अचानक आया और मेरे पिताजी के गर्दन में कैंची भोंक दिया, जिससे मेरे पिताजी के गर्दन से खून बहने लगा और गिरधारी वहाँ से भाग गया। मैं अन्य लोगों के साथ अपने पिताजी को लेकर पं० दीन दयाल अस्पताल लेकर गया, जहाँ पर डाक्टर द्वारा मेरे पिताजी को देखकर बताये कि इनकी मृत्यु हो गयी है। पिताजी की लाश पं० दीन दयाल अस्पताल के मर्चरी गृह में है। मैं अनुसूचित जाति का व्यक्ति हूँ। जिस दिन गिरधारी गती : चलाया था उस दिन हमने सुपरवाइजर धर्मेन्द्र सिंह वघेल को बत्ताये थे कि इसे काम से निकाल दे, किन्तु सुपरवाइजर द्वारा गिरधारी को काम से नहीं निकाला गया। अगर यह काम से निकल गये होते तो आज यह घटना नहीं होती। आज भी मैंने सुपरवाइजर से अपने पिताजी के साथ गिरधारी को काम से निकालने के लिये बताये थे, क्योंकि आज भी जान से मारने की धमकी दिया था। अतः वादी द्वारा निवेदन किया गया कि उसका मुकदमा लिखकर कार्यवाही की जाये।
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