✍️✍️ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करने के दो अलग-अलग मामलों में सपा व्यापार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मिली जमानत
""अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व विकास यादव ने पक्ष रखा""
👉 अभियोजन के मुताबिक, छात्रा स्नेहा सिंह जवाहर एक्सटेन्सन कालोनी दुर्गाकुण्ड में एक हास्टल में जो रामेश्वरम नाम से है, रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करती थी। बीते 1 फरवरी को उसने हास्टल के बन्द कमरे में आत्महत्या (खिड़की के जंगले से) लटककर कर लिया था। मृतका के शव का पंचायतनामा नियमानुसार उसके परिजनों के उपस्थिति में भरकर पोस्टमार्टम कराया गया था व स्नेहा सिंह के शव को उसके परिजनों को दिया गया था। परिजन ने हरिश्चन्द घाट पर मृतका का हिन्दू रीति रिवाज से अग्नि दाह संस्कार किया था। वही काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के दौरान दर्शनार्थियों के मौत के मामले में एक्स हैंडल पर सपा व्यापार प्रकोष्ठ के सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष जगन अग्रवाल, पुनीत यादव समाजवादी (@punityadav-sp), मनोज काका (@manojsinghkaka), अमित यादव (@amityadav-65) के द्वारा उपरोक्त प्रकरण के सम्बन्ध में अपने एक्स हैंडल पर सार्वजिनिक रुप से गलत एवं भ्रामक तथ्यों का प्रचार प्रसार कर रहा है तथा लोगों के मन में महिलाओं के प्रति सरकार के विरुद्ध द्वेष फैलाया जा रहा है। भ्रामक तथ्यों को दुष्प्रचारित किया जा रहा है। इसके साथ ही पुलिस के छवि को धूमिल करने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। इन लोगों के द्वारा समाज व देश में गलत एवं भ्रामक तथ्यों को फैलाकर ऐसी स्थिति उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे लोग उन्मादित होकर कानून व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर सड़क पर उतरकर कानून व्यवस्था को प्रभावित करें व सरकार के विरुद्ध अपराध करें। उक्त ट्वीट में यह लिखा जा रहा है कि मृतका का पोस्टमार्टम नही किया गया था व शव को परिजनों को दाह संस्कार हेतु सूपुर्द नही किया गया था जब कि सत्यता यह है कि मृतका का पोस्टमार्टम कराया गया था व पोस्ट पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को दाह संस्कार हेतु सूपुर्द किया गया था। इस मामले में भेलूपुर थाने में बीएनएस की धारा 353 (2), 356 (2) व चौक थाने में 353 (2) के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था। इसी मामले में सपा व्यापार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष को वारंट बी पर देवरिया जेल में लाकर वाराणसी कोर्ट में पेश किया गया था। जहाँ से उन्हें जमानत मिल गई।
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