✍️✍️ एस.सी/एस.टी एक्ट में दो अभियुक्तगण को कोर्ट से मिली राहत
वाराणसी: विशेष न्यायालय (एस.सी/एस.टी एक्ट) के न्यायाधीश देवकांत शुक्ला की अदालत ने थाना चौबेपुर क्षेत्र के एस.सी/एस.टी एक्ट के एक मामले में अभियुक्तगण छेदी राजभर उर्फ छेदी प्रसाद राजभर व खंझाटी राजभर उर्फ बेदी प्रसाद की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए अभियुक्तगण प्रत्येक द्वारा 25-25 हज़ार रुपए का व्यक्तिगत बंधपत्र तथा समान धनराशि कि दो दो प्रतिभू प्रस्तुत करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
""अदालत में बचाव पक्ष कि ओर से फौजदारी अधिवक्ता श्रीकांत प्रजापति, संजय कुमार विश्वकर्मा व सुनील कुमार ने पक्ष रखा""
👉 संक्षेप में परिवादी का कथन है कि वह गरीब आदमी है दिनांक 17.11.04 को वह ग्राम शाहपुर के रास्ते पर मिट्टी डाल रहा था कि प्रार्थी के साथ बाबूलाल, सूबेदार, जितेन्द्र आदि मजदूर भी कार्य कर रहे थे कि अभियुक्तगण एक लगायत चार एवं अन्य दो व्यक्ति नाम पता अज्ञात एक साथ हाथ में लाठी डण्डा लेकर एक राय होकर एक नाजायज गोल बनाकर आयें तथा कहे कि यहां पर मिट्टी नहीं पड़ेगी तो प्रार्थी ने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करने वाले है। वी०डी०सी० द्वारा कहने पर उक्त मिट्टी डाल रहे हैं तथा रास्ते का निर्माण हो रहा है। इस पर सभी अभियुक्तगण उसे मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए जान मारने की धमकी देते हुए कहे कि चमार, सियार साले जुबान लड़ाते हो इतना कह कर गिरा कर लात मुक्का, घूसा तथा लाठी-डण्डा से मारने लगे। मजदूर बाबूलाल बचाने आया तो उसे भी अभियुक्तगण ने लाठी-डण्डा से मारा पीटा तथा मजदूरों का फरवा आदि फेंक दिया। जिस रास्ते पर प्रार्थी मिट्टी डाल रहा था, उससे अभियुक्तगण का कोई वास्ता सरोकार नहीं है जाते समय मुल्जिमान ने धमकी दिया कि यहां दिखायी मत देना नहीं तो जान से मार देंगे। प्रार्थी ने घटना की सूचना थाना चौबेपुर में दिया कोई कार्यवाही न होने 'पर न्यायालय में प्रार्थनापत्र 156-3 दं०प्र०संहिता प्रस्तुत किया न्यायालय के आदेश के अनुपालन में थाने द्वारा प्रश्नगत मामले में अभियोग पंजीकृत किया गया तथा विवेचना की गई। विवेचना उपरांत इस मामलें में विवेचक द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई, जिस पर वादी द्वारा दाखिल प्रोटैस्ट का निस्तारण करते हुए दिनांक 29.04.2006 उक्त मामले की अन्य विवेचक से विवेचना पुनः सम्पादित किये जाने हेतु आदेशित किया गया। विवेचना उपरांत पुनः इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल किया गया, जिसे न्यायालय द्वारा वादी की याचना पर दिनांक 08.07.2011 को परिवाद के रूप में दर्ज किया गया ।
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