✍️✍️ दलित उत्पीड़न के मामले में 2 अभियुक्तगण की जमानत मंजूर
वाराणसी: विशेष न्यायालय (एससी/एसटी एक्ट) के न्यायाधीश देवकांत शुक्ला की अदालत ने थाना चौबेपुर में दर्ज एससी/एसटी एक्ट के एक मामले में ग्राम शाहपुर थाना चौबेपुर निवासीगण छेदी राजभर व खंझाटी राजभर उर्फ बेदी प्रसाद की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
""अदालत में बचाव पक्ष की ओर से फौजदारी अधिवक्ता श्रीकांत प्रजापति,विनोद कुमार यादव व सुनील कुमार ने पक्ष रखा""
👉 परिवाद पत्र के कथानानुसार परिवादी दिनांक 17.11.04 को वह ग्राम शाहपुर के रास्ते पर मिट्टी डाल रहा था कि परिवादी के साथ बाबूलाल, सूबेदार, जितेन्द्र आदि मजदूर भी कार्य कर रहे थे, कि अभियुक्तगण एवं अन्य दो व्यक्ति नाम पता अज्ञात एक साथ हाथ में लाठी डण्डा लेकर एक राय होकर एक नाजायज गोल बनाकर आये तथा कहे कि यहां पर मिट्टी नहीं पड़ेगी तो परिवादी ने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करने वाले है। वी०डी०सी० द्वारा कहने पर उक्त मिट्टी डाल रहे हैं तथा रास्ते का निर्माण हो रहा है। इस पर सभी अभियुक्तगण उसे मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए जान मारने की धमकी देते हुए कहे कि जातिसूचक गाली देते हुए कहे साले जुबान लड़ाते हो इतना कह कर गिरा कर लात मुक्का, घूसा तथा लाठी-डण्डा से मारने लगे। मजदूर बाबूलाल बचाने आया तो उसे भी अभियुक्तगण ने लाठी-डण्डा से मारा पीटा तथा मजदूरों का फरवा आदि फेंक दिया। जिस रास्ते पर परिवादी मिट्टी डाल रहा था,उससे अभियुक्तगण का कोई वास्ता सरोकार नहीं है, जाते समय मुल्जिमान ने धमकी दिया कि यहां दिखायी मत देना नहीं तो जान से मार देंगे।
👉 बता दें कि परिवादी ने घटना की सूचना थाना चौबेपुर में दिया था,कोई कार्यवाही न होने 'पर न्यायालय में प्रार्थनापत्र 156-3 दं०प्र०संहिता प्रस्तुत किया, जिस पर न्यायालय के आदेश के अनुपालन में थाने द्वारा प्रश्श्रगत मामले में अभियोग पंजीकृत कर तथा विवेचना कि गई। विवेचना उपरांत इस मामलें में विवेचक द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किया गया, जिस पर वादी द्वारा दाखिल प्रोटैस्ट का निस्तारण करते हुए दिनांक 29.04.2006 को उक्त मामले की अन्य विवेचक से विवेचना पुनः सम्पादित किये जाने हेतु आदेशित किया गया। विवेचना उपरांत पुनः इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल किया गया, जिसे न्यायालय द्वारा वादी की याचना पर दिनांक 08.07.2011 को परिवाद के रूप में दर्ज किया गया। वादी के प्रार्थना पत्र को न्यायालय द्वारा परिवाद के रूप में दर्ज कर विपक्षीगण को जरिए सम्मन तलब किया।
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