✍️✍️ साड़ी व्यवसायी से जबरन वसूली मामले में एफ आई आर दर्ज करने का आदेश

वाराणसी: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) मनीष कुमार द्वितीय की अदालत ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए सिगरा थानाध्यक्ष को कोटनी राजेश कुमार द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में वर्णित घटना के संबंध में समुचित धाराओं में प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर विवेचना (जांच) कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 173 (4) के अंतर्गत दिए गए प्रार्थना पत्र पर आया है।

क्या है मामला?

पीड़ित कोटनी राजेश कुमार, जो ओडिशा के गंजाम जिले के एक प्रतिष्ठित साड़ी व्यवसायी हैं और जिनकी फर्म "पद्मा सिल्क पैलेस" 1974 से साड़ी का कारोबार कर रही है, ने अपने अधिवक्ता श्याम सुंदर चौरसिया और संतोष मिश्रा के माध्यम से अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।

राजेश कुमार ने अपने प्रार्थना पत्र में बताया कि उनका वाराणसी के मेसर्स अशोक साड़ी (प्रोप्राइटर अशोक शाह) से लंबे समय से व्यापारिक संबंध रहा है। कुछ समय पहले गुणवत्ता संबंधी समस्याओं के कारण उन्होंने अशोक साड़ी से कारोबार बंद कर दिया था। इसके बावजूद, अशोक शाह और उनके पुत्र अवनीश शाह ने उन पर रंजिश रखी। राजेश कुमार के अनुसार, अशोक साड़ी ने व्यापार के दौरान अमानत के तौर पर लिए गए चेकों का दुरुपयोग कर वाराणसी न्यायालय में धारा 138 एन.आई. एक्ट के तहत एक परिवाद पत्र दायर किया है, जो विचाराधीन है।

बंधक बनाकर वसूली और धमकी

राजेश कुमार ने आरोप लगाया कि लंबित मुकदमे के दौरान भी अशोक शाह और अवनीश शाह लगातार उन्हें फोन कर नाजायज रुपयों की मांग करते रहे। दिनांक 29 अप्रैल, 2025 को अशोक शाह ने उन्हें फोन कर वाराणसी आकर मिलने और 'सेटलमेंट' करने के लिए बुलाया। उनकी बातों पर विश्वास कर राजेश कुमार 3 मई, 2025 को वाराणसी पहुंचे। उन्हें पहले अशोक शाह के पुराने कार्यालय (गोलघर, कोतवाली) बुलाया गया, जहां से उन्हें पता चला कि कार्यालय महमूरगंज में स्थानांतरित हो गया है। अवनीश शाह ने अपने कर्मचारी के माध्यम से राजेश कुमार को महमूरगंज स्थित अपने कार्यालय बुलाया।

वहां पहुंचने पर, राजेश कुमार को घंटों तक कार्यालय में बंधक बनाकर रखा गया, गाली-गलौज की गई और प्रताड़ित किया गया। अवनीश शाह ने अपने अधिवक्ता मोहन गुप्ता को भी बुलाया। मोहन गुप्ता के आने के बाद उन्होंने भी राजेश कुमार के साथ अभद्रता की और जबरदस्ती बकाए रुपयों की मांग करने लगे, जबकि राजेश कुमार का दावा है कि उनका कोई रुपया अशोक साड़ी पर नहीं निकलता। इसके बावजूद, मोहन गुप्ता और अवनीश शाह ने साजिश रचकर राजेश कुमार को डरा-धमकाकर ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से 75 हजार रुपये और उनके एटीएम से 25 हजार रुपये (कुल 1 लाख रुपये) जबरन वसूल लिए।

राजेश कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें धमकी दी कि "सीधे वापस चले जाओ, यदि कहीं शिकायत किया तो तुम्हारी लाश वापस तुम्हारे घर जाएगी।" उन्होंने बताया कि यह सारी घटना मेसर्स अशोक साड़ी के कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड है। बंधक बनाए जाने के दौरान मोहन गुप्ता ने राजेश कुमार के मोबाइल से उनकी पत्नी को भी फोन कर डराया-धमकाया और तुरंत पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला। मोहन गुप्ता ने अवैध तरीके से अपने खाते में भी ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए 2 हजार रुपये लिए।

पुलिस की निष्क्रियता और न्यायालय का हस्तक्षेप

पीड़ित ने बताया कि इस घटना के संबंध में उन्होंने स्थानीय थाने में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने 5 मई, 2025 को दस्ती और रजिस्टर्ड डाक से श्रीमान अपर पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी और उच्चाधिकारियों को भी प्रार्थना पत्र भेजा, पर फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रार्थना पत्र में कोटनी राजेश कुमार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(2), 127, 308(3), 115(2), 352(3), 351(2), 409, 116(2)(5), 318(2) के तहत संज्ञेय अपराधों का जिक्र किया है।

अदालत का आदेश

माननीय न्यायालय ने प्रार्थी कोटनी राजेश कुमार पुत्र कोटनी सुरेंद्र कुमार की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र को स्वीकार करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष को आदेशित किया है कि प्रार्थना-पत्र में वर्णित घटना के संबंध में समुचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें ताकि न्याय हो।

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