✍️✍️ CA की जमानत याचिका खारिज: करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप

 

वाराणसी:  प्रभारी सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रविंद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने थाना चेतगंज में दर्ज दो अलग-अलग मुकदमों में अभियुक्त सतीश कुमार चौबे की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। सतीश कुमार चौबे पर भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 506 (एक मामले में) और 409, 420, 404, 120B (दूसरे मामले में) के तहत धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप हैं। 

""अदालत में जमानत याचिका का विरोध जिला शासकीय फौजदारी अधिवक्ता मुनीब सिंह चौहान, वादी के अधिवक्ता अनुज कुमार श्रीवास्तव और राहुल तिवारी ने प्रभावी ढंग से किया""

मामला 1: शिवांश और जय माँ दुर्गा एंटरप्राइजेज से 1.70 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

यह मामला बृजेश कुमार सिंह और उनकी पत्नी संजू सिंह से जुड़ा है, जो अपनी फर्मों शिवांश एंटरप्राइजेज और जय माँ दुर्गा एंटरप्राइजेज के आयकर रिटर्न, लेखा-जोखा और ऑडिट का काम आरोपी सी.ए. सतीश कुमार चौबे से कराते थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सतीश कुमार चौबे ने पीड़ितों का परिचय त्रिभुवन नारायण तिवारी से कराया, जो एटीएस ग्रुप (एलईडी बल्ब) के सी एंड एफ डीलर थे। चौबे ने खुद को भी इस व्यवसाय में भागीदार बताया और पूर्वांचल (वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, चंदौली, मऊ) में निवेशकों की आवश्यकता बताई।

चौबे ने बृजेश कुमार सिंह और संजू सिंह को भरोसा दिलाया कि वह त्रिभुवन नारायण तिवारी को वर्ष 2000 से जानते हैं और यदि वे निवेश करते हैं, तो उनकी पूंजी की जिम्मेदारी चौबे स्वयं लेंगे। यह भी वादा किया गया था कि जब तक एलईडी बल्ब की बिलिंग और माल नहीं मिलता, तब तक पूंजी पर 5 प्रतिशत प्रतिमाह का लाभांश उनके खाते में हस्तांतरित किया जाएगा। साधना तिवारी और त्रिभुवन नारायण तिवारी ने भी चौबे की बातों पर सहमति व्यक्त की।

दिनांक 15 सितंबर 2020 को सतीश कुमार चौबे के कार्यालय में ही व्यापारिक एग्रीमेंट तैयार किया गया, जिसमें चौबे ने पूंजी डूबने न देने का आश्वासन दिया। पीड़ितों की फर्मों से आरटीजीएस के माध्यम से कुल एक करोड़ सत्तर लाख रुपये विभिन्न किस्तों में अभियुक्तों ने ऐंठ लिए। शिवांश एंटरप्राइजेज के लिए 15 सितंबर 2020 को और जय माँ दुर्गा एंटरप्राइजेज के लिए 5 फरवरी 2021 को 10-11 पन्नों का एग्रीमेंट भी कराया गया।

आरोप है कि सभी निवेशकों की बैठकें सतीश कुमार चौबे के कार्यालय में ही होती थीं और यहां तक कि दिवाली के उपहार भी चौबे द्वारा ही दिए जाते थे। पिछले 18 महीनों से पूंजी का लाभांश नहीं दिया जा रहा है। जब त्रिभुवन नारायण तिवारी से पूंजी मांगी गई, तो उन्होंने टालमटोल किया। सतीश कुमार चौबे ने भी पहले पूंजी दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में सभी मामलों से पल्ला झाड़ते हुए यह कहना शुरू कर दिया कि उन्होंने कोई जिम्मेदारी नहीं ली थी और न ही कहीं लिखित में दिया था। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि अभियुक्तों ने छल-कपट से 1.70 करोड़ रुपये हड़प लिए हैं और पैसा मांगने पर उन्हें गाली-गलौज और फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है।

👉 मामला 2: सौरभ सिंह से 26 लाख रुपये की धोखाधड़ी

दूसरा मुकदमा सौरभ सिंह द्वारा दर्ज कराया गया है, जो सुरभि एंटरप्राइजेज नाम से अनाज खरीद-बिक्री का व्यवसाय करते हैं। उनकी फर्म का ऑडिट भी सी.ए. सतीश कुमार चौबे के कार्यालय (इंडियन प्रेस कॉलोनी, मलदहिया) में होता था। मई 2021 में सतीश कुमार चौबे ने सौरभ सिंह को बताया कि उनके रिश्तेदार त्रिभुवन नारायण तिवारी और उनकी पत्नी साधना तिवारी बालाजी इलेक्ट्रॉनिक इंडिया नामक फर्म संचालित करते हैं, जो एलईडी बल्ब का कारोबार करती है और उन्हें पूर्वांचल में सब-डीलरों की आवश्यकता है।

चौबे ने सौरभ सिंह को उनकी फर्म सुरभि एंटरप्राइजेज को सब-डीलरशिप दिलाने का प्रस्ताव दिया, जिसके लिए पूंजी निवेश करना होगा। यह भी वादा किया गया कि जब तक एलईडी बल्ब का कारोबार शुरू नहीं हो जाता, तब तक पूंजी का 4 प्रतिशत प्रतिमाह मुनाफे के रूप में बालाजी इलेक्ट्रॉनिक इंडिया से प्राप्त होता रहेगा, और इसका लिखित एग्रीमेंट भी कराया जाएगा।

दिनांक 13 मई 2021 को सतीश कुमार चौबे ने सौरभ सिंह से 7,00,047 रुपये आरटीजीएस के माध्यम से बालाजी इलेक्ट्रॉनिक में ट्रांसफर कराए। एग्रीमेंट साइन कराने के लिए चौबे ने उन्हें अपने मलदहिया स्थित कार्यालय बुलाया, जहां त्रिभुवन नारायण तिवारी और साधना तिवारी पहले से मौजूद थे। चौबे ने 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर टाइपशुदा अंग्रेजी एग्रीमेंट पर सौरभ सिंह और त्रिभुवन नारायण तिवारी से हस्ताक्षर कराए और पेपर अपने पास यह कहते हुए रख लिया कि इसे पूरा कराकर दे देंगे।

बाद में, 9 जुलाई 2021 को चौबे ने सौरभ सिंह से 3,00,023 रुपये चेक के माध्यम से और 10 सितंबर 2021 को 7,00,047 रुपये चेक के माध्यम से बालाजी एंटरप्राइजेज में ट्रांसफर कराए। जब सौरभ सिंह ने एग्रीमेंट पेपर मांगा, तो चौबे ने और निवेश करने को कहा और बताया कि सारा पैसा एक साथ एग्रीमेंट पर चढ़ाकर देंगे। 30 नवंबर 2021 को चौबे ने सौरभ सिंह से अपनी फर्म कृष्णा अनुराग एंड कंपनी में 4,00,000 रुपये और 20 अक्टूबर 2021 को 5,00,000 रुपये चेक के माध्यम से ट्रांसफर कराए। इस प्रकार, सौरभ सिंह ने चौबे के कहने पर बालाजी इलेक्ट्रॉनिक इंडिया में कुल 26,00,000 रुपये का निवेश किया।

शुरुआत में, सतीश कुमार चौबे द्वारा ही निवेश का 4 प्रतिशत लाभांश का भुगतान किया जाता रहा और वे अपने कार्यालय में सब-डीलरों की बैठकें भी करते थे। हालांकि, कुछ महीने बाद त्रिभुवन नारायण तिवारी और सतीश कुमार चौबे ने लाभांश का भुगतान बंद कर दिया और आज तक किसी भी सब-डीलर को एलईडी बल्ब नहीं दिए गए।

जब सौरभ सिंह ने अपनी पूंजी वापस मांगी, तो 31 जनवरी 2023 को त्रिभुवन नारायण तिवारी द्वारा कुल 26,00,000 रुपये के चार चेक दिए गए, लेकिन उनका भुगतान आज तक नहीं हुआ है। 30 मई 2024 को जब सौरभ सिंह ने सतीश कुमार चौबे के कार्यालय जाकर अपने पैसे की मांग की, तो चौबे ने कहा कि जब तिवारी जी पैसा देंगे तभी मिलेगा, उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है और तगादा न करने को कहा। सौरभ सिंह ने आरोप लगाया कि चौबे, त्रिभुवन और साधना ने मिलकर उनके साथ धोखाधड़ी करके 26 लाख रुपये हड़प लिए हैं, जिस पर सतीश चौबे ने उन्हें वहां से चले जाने की धमकी दी।

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