✍️✍️ 22 हजार रूपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए मंडी निरीक्षक की जमानत याचिका खारिज
विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संख्या-3) की न्यायाधीश पूनम पाठक की अदालत ने मंडी निरीक्षक सत्येंद्र नाथ की जमानत प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। सत्येंद्र नाथ को ₹22,000 की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निवारण संगठन द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था।
""अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रथमेश पांडेय और कमलेश यादव ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए गंभीर आपत्ति जताई।
क्या है मामला?
👉 प्रकरण की शुरुआत शिकायतकर्ता अजीत कुमार ओझा द्वारा 15 जुलाई 2025 को प्रभारी निरीक्षक, भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी को दिए गए शिकायती प्रार्थना पत्र से हुई थी। शिकायतकर्ता कछवा रोड मंडी में 'रूढ़ ट्रेडिंग कंपनी' के नाम से लाइसेंस लेना चाहता था। इसके लिए उसने सत्येंद्र नाथ (मंडी निरीक्षक) से संपर्क किया, जिन्होंने व्हाट्सएप के माध्यम से आधार कार्ड, पैन कार्ड और फोटो मंगवाए।
👉 इसके बाद सत्येंद्र नाथ ने शिकायतकर्ता से ₹250 निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त ₹22,000 "सुविधा शुल्क" की मांग की। जब शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने से इंकार किया तो मंडी निरीक्षक ने बार-बार कॉल कर दबाव बनाते हुए मिलने को कहा। अंततः शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन से संपर्क कर सत्येंद्र नाथ को रंगे हाथ पकड़वाने की योजना बनाई।
रंगे हाथ गिरफ्तारी
👉 21 जुलाई 2025 को ट्रैप टीम ने योजनाबद्ध तरीके से सत्येंद्र नाथ को ₹22,000 की रिश्वत लेते हुए सार्वजनिक गवाहों की उपस्थिति में गिरफ्तार किया। इसी दिन रात 10:02 बजे उनके विरुद्ध एंटी करप्शन थाने में मुकदमा (मु.अ.सं. 14/2025) पंजीकृत किया गया। टीम द्वारा फिनाफ्थलीन पाउडर और आवश्यक दस्तावेजों के माध्यम से भ्रष्टाचार का प्रमाण एकत्र किया गया।
न्यायालय का निर्णय
👉 अभियोजन की ओर से यह तर्क दिया गया कि आरोपी लोक सेवक होने के नाते अत्यधिक प्रभावशाली है और जमानत पर छूटने की स्थिति में साक्ष्य प्रभावित कर सकता है। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों को स्वीकार करते हुए जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

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