✍️✍️ 5.02 करोड़ की धोखाधड़ी में आरोपित की जमानत अर्जी खारिज, अदालत ने माना गंभीर अपराध


वाराणसी। 

करोड़ों की आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रवीन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने मंगलवार को आरोपी विद्या देवी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने अपराध की गंभीरता और प्राथमिक दृष्टया साक्ष्यों को देखते हुए राहत देने से इनकार किया।

""वादी की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, संदीप यादव और नितेश सिंह ने जमानत का विरोध किया और अदालत को बताया कि यह संगठित और सुनियोजित आर्थिक अपराध है, जिससे न केवल वादी बल्कि कंपनी को भी बड़ा नुकसान हुआ है""


क्या है मामला?

👉 प्रकरण के अनुसार, सत्येन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने चेतगंज एसीपी को शिकायत दी थी कि मेसर्स निलाम्बर ट्रैक्सिम एंड क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड, जो 1992 में वेस्ट बंगाल में पंजीकृत हुई थी, उसका हेड ऑफिस वाराणसी के ईश्वरगंगी नाटी इमली में स्थित है।

👉 शिकायत में कहा गया कि कंपनी के दो निदेशक — कवलधारी यादव (नियुक्ति: 5 जून 2019) और अनिल कुमार श्रीवास्तव (नियुक्ति: 10 नवंबर 2021) — को बैंक खाते संचालित करने का अधिकार था। यस बैंक, रामकटोरा शाखा में कंपनी के दो खाते थे जिनका उपयोग शेयर बाजार में लेन-देन के लिए किया जाता था।

👉 वादी के अनुसार, आरोपी कवलधारी यादव ने अपनी पत्नी विद्या देवी के साथ मिलकर अन्य लोगों — सूर्य नारायण, आशीष तिवारी, मंदीप सिंह, हिमांशु शुक्ला, शादाब राजा, यस बैंक के तत्कालीन प्रबंधक और कर्मचारियों, व कई फर्जी संस्थाओं जैसे मैक्समोर पेमेंट डिजिटेक प्रा. लि., वैभव ट्रेडर्स, दिव्यांशी ब्यूटीपार्लर, दीप कलेक्शन इत्यादि के साथ साठगांठ कर 5.02 करोड़ रुपये की अवैध निकासी कर ली।


अब तक की कार्रवाई

👉 इस गंभीर वित्तीय घोटाले के उजागर होने के बाद पुलिस ने सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। विद्या देवी को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। जमानत के लिए दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद अदालत ने इसे खारिज कर दिया।

Comments

Popular posts from this blog

✍️✍️ बार के अभियान में कुछ पकड़े गए, कुछ चेकिंग देख कुर्सी छोड़ हुए फरार

✍️✍️ अधिवक्ता पर दरोगा का जानलेवा हमला, ट्रॉमा सेंटर में भर्ती – वकीलों में उबाल

✍️✍️ अम्बियामंडी क्षेत्र में हुई घटना के आरोपी समाजवादी पार्टी के नेता कि जमानत मंजूर