✍️✍️ डीन और प्रधानाचार्य के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में अदालत ने अंतिम रिपोर्ट की निरस्तीकरण का दिया आदेश
""कोर्ट ने 60 दिन में अग्रिम विवेचना का दिया निर्देश, पीड़िता की ओर से दाखिल प्रोटेस्ट याचिका हुई स्वीकार""
वाराणसी।
शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय के डीन शुभोदीप डे और प्रधानाचार्या प्रतिभा द्विवेदी पर लगे यौन उत्पीड़न, साजिशन झूठी गवाही दिलवाने तथा साक्ष्य छुपाने के गंभीर आरोपों में दाखिल अंतिम रिपोर्ट को कोर्ट ने निरस्त कर दिया । पीड़िता (वादिनी) द्वारा दाखिल किए गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार द्वितीय की अदालत ने 05 जून .2025 को प्रेषित अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर दिया है।
👉 पीड़िता की ओर से अधिवक्ता जयदीप चक्रवर्ती द्वारा दाखिल प्रोटेस्ट याचिका में गंभीर आरोप लगाए गए थे कि विवेचक ने जानबूझकर पक्षपातपूर्ण तरीके से जांच की, साक्ष्यों से छेड़छाड़ की, महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए तथा स्कूल प्रबंधन के प्रभाव में आकर अभियुक्तों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अंतिम रिपोर्ट दाखिल की।
👉 याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि विद्यालय की महिला शिक्षिकाओं को स्कूल के कार्यक्रमों में अश्लील नृत्य करने और अनुचित वस्त्र पहनने के लिए बाध्य किया जाता है, जिसका संचालन डीन के आदेश पर कंचन गुप्ता और नीलम माहेश्वरी द्वारा किया जाता था। प्रार्थिनी ने बताया कि जब उसने इसका विरोध किया, तो उसे अन्यायपूर्ण रूप से टर्मिनेट कर दिया गया जबकि अन्य शिक्षिकाओं को दोषमुक्त कर दिया गया।
👉 अदालत ने प्रकरण की गंभीरता और प्रस्तुत तथ्यों का संज्ञान लेते हुए थाना-सिगरा के प्रभारी थानाध्यक्ष को निर्देशित किया है कि मुकदमा संख्या 180/2025, धारा 296, 352 बी.एन.एस. के अंतर्गत प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दिनांक 24 जुलाई.2025 के आलोक में 60 दिनों के भीतर अग्रिम विवेचना कराई जाए और प्रत्येक 15 दिन में न्यायालय को विवेचना की प्रगति से अवगत कराया जाय, पीड़िता ने अदालत में स्वयं उपस्थित होकर हलफनामे के माध्यम से साक्ष्य प्रस्तुत किए और जांच में हुई अनियमितताओं की जानकारी दी। साथ ही यह भी उजागर किया कि पुलिस विवेचक द्वारा गवाहों के बयान जानबूझकर काटे-छांटे गए, और महत्वपूर्ण साक्ष्य को केस डायरी में दर्ज ही नहीं किया गया।

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