✍️✍️ अवैध गिरफ्तारी और अमानवीय उत्पीड़न का मामला: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वाराणसी पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने चन्द्रभूषण सिंह की कथित अवैध गिरफ्तारी, अमानवीय उत्पीड़न, और फर्जी एफआईआर दर्ज करने के मामले में वाराणसी पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह कार्रवाई आयोग के माननीय सदस्य श्री प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के अंतर्गत की गई है। आयोग ने मामले को मानवाधिकार उल्लंघन की दृष्टि से प्रथम दृष्टया गंभीर मानते हुए संज्ञान लिया है।
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📌 मामले की पृष्ठभूमि:
शिकायतकर्ता चेग्वेवारा रघुवंशी, पेशे से अधिवक्ता और वाराणसी निवासी, ने आयोग को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि उनके अभिभाष्य चन्द्रभूषण सिंह, निवासी जयपुर (राजस्थान), को 19 सितंबर 2024 की रात लगभग 10:30 बजे उदयवीर सिंह तत्कालीन थानाध्यक्ष शिवपुर के साथ वाराणसी पुलिस के अन्य पुलिस कर्मी बिना वारंट FIR और विधिक प्रक्रिया के गिरफ्तार किया। उस वक्त वह अपने किराए के मकान पर एक जूनियर अधिवक्ता के साथ विधिक चर्चा कर रहे थे।
🧾 शिकायत में प्रमुख आरोप:
1. शिवपुर थानाध्यक्ष उदयवीर सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल द्वारा साजिशन रंजिशवशरात 10:30 बजे बिना वारंट जबरन घर में घुसपैठ।
2. अधिवक्ता श्रीनिवास दूबे को पिस्टल दिखाकर धमकाना और मोबाइल फोन छीनना।
3. चन्द्रभूषण सिंह को घसीटते हुए गिरफ्तार करना और काशीराम चौकी में रात भर टॉर्चर करना।
4. 20 सितंबर रात्रि 1:25 बजे को 2 साल पुरानी घटना दिखाकर धारा 376, 328, 506 IPC के तहत फर्जी झूठा एफआईआर दर्ज करना।
5. 14 फरवरी 2025 को माननीय उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बावजूद, वाराणसी जिला कारागार के तत्कालीन अधीक्षक द्वारा 24 फरवरी तक 10 दिन अवैध हिरासत में रखना।
6. जमानत आदेश की अवहेलना पर ACJM-VII वाराणसी द्वारा जेल अधीक्षक को फटकार और तत्काल रिहाई का आदेश।
7. डायल 112 पर कॉल, CCTV फुटेज और अन्य दस्तावेज विवेचक को उपलब्ध कराए गए किंतु विवेचक द्वारा विवेचना में शामिल नहीं किया गया।
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⚖️ आयोग का रुख:
आयोग ने सहायक रजिस्ट्रार श्री बृजवीर सिंह के माध्यम से वाराणसी पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजा है, जिसमें संलग्न शिकायत और साक्ष्यों के आधार पर जांच कर चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) एवं मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन माना जाएगा।
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प्रार्थना और मांग:
शिकायतकर्ता ने आयोग से दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई और चन्द्रभूषण सिंह की सामाजिक प्रतिष्ठा की बहाली हेतु बड़ी मुआवजा राशि (बृहद दंड) की अनुशंसा करने की मांग की है।

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