✍️✍️ 29 अंतरराज्यीय ठगों को मिली जमानत (नागालैंड, गुजरात, मेघालय, शिलांग समेत अन्य प्रदेशों के है आरोपित)
वाराणसी।
रोहनिया में फर्जी कॉल सेंटर का संचालन कर विदेशियों से साइबर क्राइम के जरिए करोड़ों रुपए की ठगी करने के मामले में 29 अंतरराज्यीय ठगों को कोर्ट से राहत मिल गई। अपर जिला जज (त्रयोदश) सुशील कुमार खरवार की कोर्ट ने सभी आरोपितों को 50-50 हजार रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया।
""अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, संदीप यादव व रोहित यादव ने पक्ष रखा""
👉 अभियोजन पक्ष के अनुसार एडीसीपी नीतू कात्यायन और थाना प्रभारी निरीक्षक रोहनिया राजू सिंह को 4 सितम्बर 2025 को मुखबिर से सूचना मिली कि रोहनिया क्षेत्र में फर्जी कॉल सेंटर खोलकर नागालैंड, गुजरात, मेघालय, शिलांग समेत अन्य प्रदेशों के आरोपितो द्वारा साइबर क्राइम के माध्यम से ठगी किया जा रहा है। इस सूचना पर पुलिस ने उक्त कॉल सेंटर पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान मौके से कॉल सेंटर संचालक समेत कुल 29 लोग पकड़े गए। साथ ही उनके पास से तलाशी में पुलिस को बड़ी संख्या में लैपटाप, डेस्कटाप, 24 मोबाइल बरामद हुए। पूछताछ में आरोपित कौशलेंद्र तिवारी (कॉल सेंटर संचालक) व अन्य ने बताया कि एक बाहरी कम्पनी से कालिंग पोर्टल खरीद लिया जाता है। जिसपर लॉगिन करने के पश्चात हमें विदेशी नागरिकों के मोबाइल नंबर प्राप्त होते हैं। पुनः उसी पोर्टल के माध्यम से हम लोग उन्हीं विदेशी नागरिकों के मोबाइल नम्बरों पर आईवीआर काल जनरेट करते हैं, जो कि अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि प्लेटफार्म पर की गयी परचेजिंग व उसके डिलेवरी के कन्फर्मेशन से सम्बन्धित होती है। चूंकि यह आईवीआर कॉल फर्जी होती है, इसलिये विदेशी नागरिक इन प्रोडक्ट को लेने से पहले इनकार कर देते हैं। फिर हमारे ऑफिस में बैठे डायलर इनसे फोन पर वार्ता कर तमाम प्रकार का झांसा जैसे पार्सल में ड्रग्स, चाइल्ड पोर्नाग्राफी कंटेंट आदि दिया जाता है, तब जाकर यह लोग हम लोगों के झांसे में आ जाते हैं। फिर डायलर द्वारा यह काल हमारे ऑफिस में बैठे एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिया जाता है और उसके द्वारा इन विदेशी नागरिकों के बैंक से संबंधित सभी एकाउंट आदि की जानकारी ले ली जाती है। पुनः उस व्यक्ति द्वारा यह काल हमारे ही ऑफिस में बैठे तथाकथित लीगल अथॉरिटी/क्लोजर के पास ट्रांसफर की जाती है। इस क्लोजर के द्वारा विदेशी नागरिकों से पुलिस बनकर बात की जाती है एवं तमाम बातों का हवाला देते हुये उनका पैसा बिट कॉइन मशीन व तमाम प्रकार के गिफ्ट कार्ड आदि के माध्यम से पैसों को ले लिया जाता है तथा इन प्राप्त पैसों को विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने पास मंगा लिया जाता है। डायलर को उनको दिये गये लैपटाप में जो स्क्रिप्ट लिखी होती है, वह उसी को पढ़कर इन विदेशी नागरिकों से बात करते हैं। जांच में पता चला कि ये सभी लोग अपनी पहचान छिपाने हेतु फर्जी व कूटरचित आधार कार्ड बना रखा है, जिससे कोई इन लोगों की सही पहचान न कर सके। जिसके बाद सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

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