✍️✍️ 5 लाख रंगदारी न देने पर जान से मारने की धमकी व अपहरण के मामले में अदालत का आदेश, थाना लंका को FIR दर्ज कर विवेचना करने का आदेश


वाराणसी: 

डाफी स्थित एक गेस्ट हाउस के संचालक द्वारा रंगदारी न देने पर जान से मारने, झूठे मुकदमों में फंसाने और बच्चों के अपहरण की धमकी देने का आरोप लगाया है। इस मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) की अदालत ने थाना लंका पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है।

""बता दें कि यह आदेश एसीजेएम न्यायालय संख्या-03 के न्यायाधीश श्रीकांत गौरव ने वादी रविशंकर सिंह की ओर से उनके फौजदारी अधिवक्ता संदीप कुमार और देवऋषि सिंह द्वारा दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद दिया""


क्या है मामला

👉 पीड़ित रविशंकर सिंह ने अदालत में दायर अपने प्रार्थना पत्र में बताया कि वे स्पाइनल कॉर्ड के गंभीर मरीज हैं और डॉक्टरों ने उन्हें आजीवन बेड रेस्ट की सलाह दी है। उनके पिता के पास कई चल-अचल संपत्तियां हैं, जिनका संचालन वही करते हैं। इसी संपन्नता के कारण इलाके के कुछ लोग उनसे रंजिश रखते हैं और अवैध वसूली की कोशिश में लगे रहते हैं।

👉 प्रार्थना पत्र के अनुसार, विनीत कुमार सिंह और हरिनारायण सिंह नाम के दो व्यक्ति कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर अक्सर उनकी दुकान पर आते और अवैध वसूली करते थे। रविशंकर सिंह ने डर के मारे कई बार उन्हें 5,000 और 10,000 रुपये भी दिए। जब इन लोगों को पता चला कि रविशंकर के पिता ने जमीन बेचकर काफी पैसे रखे हैं, तो 22 जून 2025 को वे पिस्टल लेकर उनकी दुकान पर आए और उनसे 5 लाख रुपये सालाना की मांग करने लगे।

👉 रविशंकर सिंह ने जब रुपये देने से इनकार कर दिया, तो आरोपियों ने उन्हें मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां दीं, जान से मारने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। इतना ही नहीं, जब रविशंकर अपने 4 साल के बेटे को स्कूल छोड़ने जाते थे, तो आरोपी उन्हें रास्ते में रोककर पैसों की मांग करते थे और पैसे न देने पर बच्चे का अपहरण कर जान से मारने की धमकी देते थे। इसके अलावा, आरोपियों ने रविशंकर को परेशान करने के लिए उनके गेस्ट हाउस और लॉन के खिलाफ अधिकारियों के पास झूठी शिकायतें भी कीं।


अदालत का आदेश

👉 इस मामले में रविशंकर सिंह ने पुलिस कमिश्नरेट और मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने अदालत में धारा 173 (4) बीएनएसएस के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए थानाध्यक्ष लंका को आदेश दिया है कि वे उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कर मामले की जांच करें।

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