✍️✍️ फर्जी एफआईआर रद्द करने और पुलिसिया तानाशाही के खिलाफ अधिवक्ताओं की कलमबंद हड़ताल, जुलूस और आमसभा
वाराणसी दी सेन्ट्रल बार एसोसिएशन व दी बनारस बार एसोसिएशन के आह्वान पर शनिवार को अधिवक्ताओं ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सम्पूर्ण दिवस कलमबंद शान्तिपूर्ण हड़ताल की। पुलिसिया तानाशाही और फर्जी एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर से लेकर कलेक्ट्रेट और सर्किट हाउस तक जोरदार प्रदर्शन किया।
सभा में प्रशासन को चेतावनी
दी बनारस बार सभागार में आयोजित आमसभा में अधिवक्ताओं ने जिला प्रशासन द्वारा अधिवक्ताओं को उकसाने और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने की कड़ी निंदा की। वक्ताओं ने कहा कि यदि प्रशासन अपनी हठधर्मी नहीं छोड़ेगा तो लंबे आंदोलन की तैयारी की जाएगी।
सभा के बाद सेन्ट्रल बार अध्यक्ष मंगलेश कुमार दुबे, बनारस बार अध्यक्ष सतीश कुमार तिवारी, सेन्ट्रल बार महामंत्री राजेश कुमार गुप्ता और बनारस बार महामंत्री शशांक कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में हजारों अधिवक्ता जुलूस की शक्ल में निकल पड़े।
जुलूस और नारेबाजी
अधिवक्ताओं ने "फर्जी मुकदमा रद्द करो", "पुलिसिया तानाशाही बन्द करो", "जिला प्रशासन मुर्दाबाद" जैसे नारे लगाते हुए दीवानी परिसर का चक्रमण किया और कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शन किया। इसके बाद सर्किट हाउस मुख्यालय के पास भी वकीलों ने विरोध जताया।
प्रदेश के कई जिलों का समर्थन
इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए फैजाबाद, बलिया, आजमगढ़, गोरखपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर और लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, महामंत्री और पूर्व पदाधिकारी भी सम्मिलित हुए। सूत्रों के अनुसार आगामी दिनों में बलिया, अयोध्या, आजमगढ़, गोरखपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र के और भी प्रतिनिधि आंदोलन में शामिल हो सकते हैं।
अधिकारियों के बयान और चेतावनी
👉 अध्यक्ष मंगलेश कुमार दुबे ने कहा कि जिला प्रशासन को अपनी जिद्द छोड़कर इंसाफ के मुद्दे पर आना चाहिए और फर्जी एफआईआर तत्काल निरस्त करनी चाहिए।
👉 शशांक कुमार श्रीवास्तव, मंत्री बनारस बार ने चेतावनी दी कि प्रशासन अधिवक्ताओं के धैर्य की परीक्षा न ले और समस्या का समाधान बैठक कर निकाले।
👉 राजेश कुमार गुप्ता, महामंत्री सेन्ट्रल बार ने कहा कि अब तक चालीस जिलों की बार एसोसिएशनों से वार्ता हो चुकी है। अगर उत्पीड़न बंद न हुआ तो संपूर्ण प्रदेश के अधिवक्ता बनारस में सम्मेलन बुलाकर आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
वकीलों में आक्रोश और मीडिया की भूमिका
कचहरी खुलते ही जगह-जगह अधिवक्ताओं का जमावड़ा हुआ और गुटबंदी देखने को मिली। बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल दरोगा के रिश्वत, जमीन कब्जा और अभद्र भाषा प्रयोग वाले वीडियो भी चर्चा का विषय बने। अखबारों और मीडिया में छपी सुर्खियों से अधिवक्ताओं का आक्रोश और बढ़ गया।
पुलिस की भूमिका पर आरोप
अधिवक्ताओं का आरोप है कि पुलिस प्रशासन गुटबंदी कर कोर्ट कार्य बाधित कराने का भी प्रयास कर रहा है। वकीलों ने साफ किया कि कचहरी के सभी गेटों पर (आंतरिक और वाह्य) तैनात किसी भी पुलिस कर्मी को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही है और वह अपने ड्यूटी पर रेगुलर तैनात है लेकिन कोर्ट के पैरोकार नदारत हैं,यह एक सुनियोजित साजिश है जिससे कोर्ट की प्रक्रिया प्रभावित हो और जनता परेशान हो।
आंदोलन तेज करने की घोषणा
बनारस बार अध्यक्ष सतीश तिवारी ने घोषणा की कि यदि रविवार शाम तक मांगें पूरी नहीं होतीं तो सोमवार से अधिवक्ताओं का आंदोलन और तेज होगा।
वाराणसी में अधिवक्ताओं और पुलिस प्रशासन के बीच टकराव गहराता जा रहा है। फर्जी एफआईआर और पुलिसिया रवैये के खिलाफ यह आंदोलन न सिर्फ स्थानीय बल्कि प्रदेशव्यापी रंग लेता भी अब दिख रहा है।

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