✍️✍️ अपहरण और विवाह के लिए विवश करने के आरोप से आरोपी दोषमुक्त
फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम कुलदीप सिंह द्वितीय की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सत्र परीक्षण संख्या 702/2024 (मूल मु.अ.सं. 157/2013, थाना चौबेपुर, वाराणसी) के अभियुक्त मनोज चौरसिया को अपहरण और विवाह के लिए विवश करने के आशय से अपहरण के आरोपों से बरी कर दिया। न्यायालय ने अभियुक्त को 'संदेह का लाभ' देते हुए दोषमुक्त किया, क्योंकि अभियोजन पक्ष 'युक्तियुक्त संदेह से परे' आरोपों को साबित करने में विफल रहा।
""अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता संजय राय, शिवेंद्र मणि त्रिपाठी एवं अनिरुद्ध सेठ ने पैरवी की""
11 साल से चल रहा था यह मामला
👉 बता दें कि यह मामला सत्र परीक्षण संख्या 225/2014, मुकदमा अपराध संख्या 157/2013 से संबंधित था, जिसमें अभियुक्त पर नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने का आरोप लगाया गया था। वादी मुकदमा कन्हैया गुप्ता द्वारा दर्ज कराई गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने प्रारंभिक विवेचना में धारा 363, 366 भा.दं.सं. के तहत मुकदमा पंजीकृत किया था।
👉 विचारण के दौरान अदालत ने अभियोजन एवं बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना और उपलब्ध साक्ष्यों का परीक्षण किया। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है। प्रमुख गवाहों के बयान में अभियुक्त के विरुद्ध कोई ठोस सबूत नहीं पाया गया।
👉 अदालत ने स्पष्ट किया कि मात्र अभियोजन प्रपत्रों की औपचारिक स्वीकृति से अभियुक्त को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। नतीजतन, न्यायालय ने अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया।

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