✍️✍️ वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों से आरोपी को कोर्ट से राहत, अदालत ने माना व्यावसायिक मामला


वाराणसी।

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कोर्ट संख्या–02) प्रवीण कुमार की अदालत ने थाना कोतवाली से संबंधित धोखाधड़ी और धमकी के एक मामले में आरोपी मनीष कुमार की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया।

👉 बता दें कि परिवाद संख्या 1690/2019 में भारतीय दंड संहिता की धारा 403, 406, 504 एवं 506 के तहत दर्ज था, की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी और आशुतोष शुक्ला ने पक्ष रखा।

👉 विद्वान अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि यह प्रकरण मूल रूप से एक व्यावसायिक लेन-देन का विवाद है जिसे आपराधिक रंग देने का प्रयास किया गया है। उन्होंने साक्ष्यों और कानूनी दृष्टांतों के माध्यम से स्पष्ट किया कि अभियुक्त का कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है और वह जांच में पूर्ण सहयोग करने को तैयार है।

न्यायालय का निर्णय

👉 बचाव पक्ष की गहन और संतुलित दलीलों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय ने पाया कि अभियुक्त के फरार होने या गवाहों को प्रभावित करने की कोई ठोस आशंका नहीं है। अदालत ने अपना आदेश सुनाते हुए कुछ शर्तों के साथ आरोपी मनीष कुमार को 25- 25 हजार के निजी मुचलके और दो जमानतदारों के साथ रिहा करने का निर्देश दिया।

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