✍️ महिला हत्या के मामले में आरोपी हुआ दोष मुक्त

अंकुर पटेल

वाराणसी:अपर सत्र न्यायालय के न्यायाधीश देव कांत शुक्ला की अदालत ने हत्या के आरोपित अंतर्गत धारा 302 व 326 आईपीसी में अभियुक्त आनंद कुमार पुत्र महेंद्र निवासी करमपुर पोस्ट बसनी थाना बड़ागांव जनपद वाराणसी को संदेह का लाभ प्रदान करते हुए उक्त धारा में दोषमुक्त कर दिया।
👉बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता उदय नारायण सिंह, श्रीकांत प्रजापति व संजय कुमार विश्वकर्मा ने पक्ष रखा।

👉अभियोजन के अनुसार वादी मुकदमा रामचंद्र पुत्र स्वर्गीय खरपद्दू ग्राम काशीपुर पोस्ट उदार जनपद वाराणसी द्वारा संबंधित थाने पर दिनांक 2 जून 2019 को तहरीर दी गई कि उसकी बेटी सुशीला जिसकी उम्र 25 वर्ष है, उससे आनंद कुमार पुत्र महेंद्र पटेल ग्राम बड़ा गांव पोस्ट बसनी जिला वाराणसी से कुछ दिनों से मिलना जुलना हो गया था। आनंद पुत्र महेंद्र से विगत शुक्रवार को दोपहर बाद किसी बात पर अनबन हो गई। उस समय ही आनंद ने सुशीला को आग के हवाले कर, वहां से भाग गया। इस समय बेटी सुशीला का उपचार कबीर चौरा हॉस्पिटल में हो रहा है। वादी मुकदमा की तहरीर के आधार पर संबंधित थाने पर आनंद कुमार के ऊपर मुकदमा पंजीकृत हुआ। 
👉अभियोजन की ओर से अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया गया कि पीड़िता को अभियुक्त के द्वारा दिनांक 31 मई 2019 को 12:00 दिन माचिस से आग लगा दी गई। जिससे वह 70 प्रतिशत जल गई तथा जलने के कारण दिनांक 20 जून 2019 को उसकी मृत्यु हो गई। साक्षी सुदर्शन राम नायक तहसीलदार द्वारा मृतिका का मृत्यु कालीन कथन अंकित किया  गया है। उक्त मृत्यु कालीन कथन अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किए गए अन्य साक्षय से समर्पित है। जिससे स्पष्ट है कि अभियोजन कथानक को संदेश से परे साबित किया गया है। 
👉बचाव पक्ष की ओर से अदालत में अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट को ही अभियोजन साक्षी प्रथम ने स्वीकार नहीं किया है। प्रश्नगत मामला वस्तुत बिना प्रथम सूचना रिपोर्ट के ही झूठा दर्ज करके चलाया गया है। घटना को किसी के द्वारा नहीं देखा गया। मृत्यु कालीन कथन किसी भी साक्ष्य समपुष्ट नहीं है। पीड़िता मृत्यु कालीन कथन देने की स्थिति में नहीं थी। बावजूद इसके चिकित्सक पर दबाव बनाकर उसकी मानसिक स्थिति के संबंध में झूठा अंकन कराया गया। उक्त चिकित्सक को भी मृत्यु कालीन कथन संदिग्ध होने के बावजूद अभियोजन ने साक्षय के लिए पेश नहीं किया है। पीड़ित से अभियुक्त का किसी प्रकार से कोई संबंध नहीं था। जानबूझकर गांव के प्रधान के द्वारा संपूर्ण घटना का रंगीकरण करते हुए उसे झूठा फंसाया गया है।

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