✍️ "सुरक्षा" ढकोसला या ड्यूटी कोरम: अंकुर पटेल
वाराणसी: बीते दिनों लखनऊ कोर्ट में मुख्तार अंसारी के करीबी संजीव को दिनदहाड़े गोली मार के हत्या कर दी गई थी, उसके बाद से ही पूरे प्रदेश के कोर्ट मे हाईअलर्ट जारी कर दिया गया। बता दे की देश मे इस तरह की घटना पूर्व मे भी घटित हो चुकि है। देश - प्रदेश मे जब कोई बड़ी घटना होती है तब शासन प्रशासन की आँखे खुलती है और सुरक्षा के नाम पर दो तीन दिन तक चेकिंग अभियान चलाकर सुरक्षा के नाम पर फोटो शूट कर शोसल मीडिया पर डालकर ड्यूटी कोरम को पूरी की जाती है। अगर बात की जाए वाराणसी कोर्ट की तो गेट पर मौजूद सुरक्षा कर्मी तो है लेकिन वह भी कुर्सी तोड़ते नज़र आयेगे।
👉परिसर मे मेटल डिक्टेक्टर लगे तो है लेकिन मशीन की कार्यप्रणाली व उसमे से प्रवेश करते हुए व्यक्ति की जॉच की देख रेख भी राम भरोसे ही है। परिसर के अंदर खुले आम गाडियो का प्रवेश करना व खुले स्टॉल लगाकर व फेरी बनकर समान बेचना बिना जॉच किए परिसर में प्रवेश करना सुरक्षा के दृष्टि के मायने से भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है। कचहरी परिसर में शासन- प्रशासन को यह जॉच की गतिविधि को हमेशा के लिए जारी रखना चाहिए और आम नागरिकों के साथ साथ अधिवक्ता बंधुओ को भी जॉच में सहयोग प्रदान करना चाहिए।
👉बता दें कि कचहरी की सुरक्षा भगवान भरोसे है,वर्ष 2007 को 23 नवंबर के दिन प्रदेश की तीन कचहरी परिसर में बम धमाकों की वजह से जान गई थी। कचहरी में सीरियल ब्लास्ट में किसे दंडित किया गया, यह भी हमें नहीं पता है। आतंकी घटना के बाद अप्रैल 2016 में कचहरी परिसर में हैंडग्रेनेड मिला। फरवरी 2018 में असामाजिक तत्वों द्वारा सीजेएम गेट पर सुतली बम रखा गया। यह घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि सिविल कोर्ट की सुरक्षा को लेकर आज भी लापरवाही बरती जा रही है और अधिवक्ता भगवान भरोसे ही हैं।
📢हिंदुस्तान पोर्टल में खबर के अनुसार लखनऊ में कोर्ट रूम में संजीव की हत्या के बाद वाराणसी कचहरी परिसर की सुरक्षा मजबूत करने की कवायद शुरू हो गई है। गुरुवार को पुलिस के आला अफसरों एवं न्यायिक अधिकारियों ने इस पर मंथन किया। बैठक में जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश व बार के पदाधिकारी भी रहे।
👉कचहरी परिसर में केवल ड्यूटीरत यानि सुरक्षा तैनात या फिर बंदियों को पेशी पर लाने वाले पुलिस के जवान ही असलहा ला सकेगी। गवाही देने या किसी से मिलने आने वाले पुलिसकर्मी कचहरी चौकी पर असलहा जमा करेंगे। अन्य सुझाव में दीवानी और फौजदारी के कोर्ट कचहरी में छह गेटो में से केवल दो से ही आमजन को प्रवेश की अनुमति, न्यायीक अधिकारियों और कर्मचारियों को गेट नंबर एक से प्रवेश की अनुमति, गेट नंबर एक और तीन पर लगेज स्कैनर लगाने, सभी छोटे-बड़े गेटों के आसपास अच्छी गुणवत्ता वाले अतिरिक्त कैमरे लगाने, गेटों पर अधिवक्ताओं को भी आई कार्ड देखकर प्रवेश,आमजन की पूरी चेकिंग आदि के प्रस्ताव भी भेजे गए।
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