✍️ G20: आर्टिफिशियल व अस्थाई कार्य से पट गई बनारस
वाराणसी: जी20 की चमक धमक इन दिनों देव नगरी वाराणसी में देखी जा सकती है। जहा देखो जी20 की चर्चा आम लोगो में शुमार है, लेकिन रुको भाई ये वाहबाई वाली चर्चा नही है। यदि गौर कि जाए तो जहा कभी नही हुआ करते थे पौधे,आज वहा पौधे के साथ साथ आर्टिफिशियल हरे जानवर की प्रतिक देखने को भी मिल जाएगी। कज्जाकपुरा से बढ़ते समय नमो घाट के पहले अंडरपासिंग पुल में कभी लाइट नही लगाई गई,वहा आर्टिफिशियल बैलून में लगे लाइट दिखेंगे। उसी पुल के बगल में मिट्टी को हरे कॉरपेट से ढका देखने को मिल जाएगा। चौकाघाट से आगे गोलगड्डा के तरफ जाने वाले रोड के किनारे लंबी कतार के साइन बोर्ड लगे दिखेंगे। न जाने मेहमानों के लिए साजो सज्जा में कितने करोड़ की बिल बनी होगी। आखिर क्यों बनावटी साजो सज्जा में पैसा ऐसे खर्च हो रहे है। जब सभी कार्यक्रम पहले से प्रस्तावित था तो अस्थाई आर्टिफिशियल से अच्छा स्थाई कार्य दिखाए गए होते, कम से कम जनता भी देखती आपकी कार्य। आपकी प्रशंसा करते नही थकते लोग। गरीबी और गंदगी को ढकने के लिए सड़क किनारे लगा दिए गए है बड़े बड़े कटआउट होल्डिग बैनर जिसे चौकाघाट वाले मार्ग पर देखा जा सकता है, लकड़ी व्यवसाय करने वाले लोगो के दुकानों के सामने हरे पर्दे डाल कर या ढककर आखिर दिखाना क्या चाहते है। विकास के बड़े बड़े दावों व वादो को मुंह चिढ़ाता जी20 मे बने आर्टिफिसिकल अस्थाई कार्य, जिसके खर्च की कोई पैमाना नहीं।
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