
जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध प्रभारी जिला शासकीय अधिवक्ता मुनीब सिंह चौहान व वादी के अधिवक्ता स्वतंत्र सिंह और अशोक उपाध्याय ने किया।
वाराणसी:सत्र न्यायालय के न्यायाधीश डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर जमीन हड़पने के मामले में अभियुक्त जयप्रकाश पुत्र स्वर्गीय रामसुख निवासी ग्राम चाहीन थाना चोलापुर जिला वाराणसी का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध प्रभारी जिला शासकीय अधिवक्ता मुनीब सिंह चौहान व वादी के अधिवक्ता स्वतंत्र सिंह और अशोक उपाध्याय ने किया।
👉अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा रामजीत सिंह ने थाना कैण्ट वाराणसी में प्राथमिकी दर्ज कराई कि वादी द्वारा रमरजिया उर्फ रजिया पत्नी गंगा निवासिनी ग्राम लमही से मौजा बनवारीपुर परगना शिवपुर तहसील व जिला वाराणसी की पुरानी आराजी नंबर 135/1, 136/1, 146/1 व 149 कुल 4 गाटा रकबा 1.38 डि० का पंजीकृत बैनामा दिनांक 23-08-1966 में कराया गया. जिसका नामान्तरण भी दिनांक 02-05-1969 को हुआ। जिसका बाद चकबन्दी नया आराजी नंबर 193 है। नये आराजी नंबर पर भी प्रार्थी व उसके वारिसानों का नाम आज भी दर्ज चला आ रहा है। प्रार्थी को अब पता चला है कि जयप्रकाश पुत्र स्व0 रामसुख ने कूटरचित दस्तावेज (बैनामा) विक्रेती रमरजिया उर्फ रजिया के फर्जी अंगूठा निशान से मौजा बनवारीपुर में पुरानी आराजी नं 135 / 1 व 149 दो गाटा रकवा 48 डि. अपनी माता यशोदा देवी के नाम से फर्जी विक्रय पत्र बनवाया, जिसका बही नं 1 जिल्द नंबर 3607 के पृष्ठ स० 54/ 55 दस्तावेज नं 2989 तारीख 02-06-1961 दर्ज प्रदर्शित कराया। पंजीकरण कार्यालय से जब तक बही नंबर व जिल्द दस्तावेज की पक्की नकल लेने का प्रयास किया तो उस पर दूसरे व्यक्ति मु० सुनरा बेवा भूलन सिंह द्वारा बेचा गया, जिसमें क्रेता का नाम बुद्ध वोहदू पुत्र कोलेसर दर्ज है। स्पष्ट है कि तथाकथित उक्त बैनामा फर्जी प्रार्थी की सम्पत्ती को हड़पने के ख्याल से तैयार कराया गया है। फर्जी बैनामा के आधार पर जयप्रकाश ने विधि विरुद्ध तरीके से न्यायालय तहसीलदार न्यायिक सदर, वाराणसी के न्यायालय में जिसका मु0नं0-2028 सन् 2007 है. नामान्तरण का मुकदमा दाखिल किया, जिसमें मृतक रजिया उर्फ रामरजिया का झूठा शपथ पत्र दिनांक 24-08-2007 को दाखिल किया गया है जबकि रमरजिया उर्फ रजिया की मृत्यु दिनांक 02-05-2003 को ही हो गयीं थी। यही नहीं प्रार्थी के नाम से भी एक फर्जी हस्ताक्षर बनाकर झूठा शपथ पत्र दिनांक 24-08-2007 को दाखिल किया गया है। वास्तविकता यह है कि प्रार्थी को मुकदमे की जानकारी नहीं थी। मु० रमरजिया उर्फ रजिया का इन्द्राज़ खतौनी में रमजिया के नाबालिग पुत्र भगवती के मृत्यु के पश्चात प क 11 से दिनांक 16-01-1963 को नाम दर्ज हुआ है, जबकि जयप्रकाश ने अपनी माँ यशोदा देवी के नाम से जो फर्जी दस्तावेज दिखाया है, वह दिनांक 02-06-1961 का है जो गलत है। जयप्रकाश का एक नाजायज गिरोह है जो अपने गिरोह के सदस्यों के सहयोग से गरीब किसानों की जमीन पर फर्जी बैनामा दस्तावेज तैयार कर जमीन हड़पने का कार्य करता है व गलत तरीके से खतौनी में अपना नाम दर्ज कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके गिरोह में कुछ नव राजस्व कर्मचारीगण भी शामिल है जो एक संगठित तरीके से सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर गलत लोगों का नाम दर्ज करते है व किसानों व प्रार्थी की जमीन हड़पना चाहते है।

Comments
Post a Comment