✍️✍️ CBA: 18 सूत्रीय मांग पर कार्य शुरू,डीएम को दिया था पत्रक
वाराणसी: दी सेंट्रल बार एसोसिएशन वाराणसी के अध्यक्ष मुरलीधर सिंह व महामंत्री सुरेंद्रनाथ पांडेय के द्वारा जिलाधिकारी वाराणसी को जनवरी माह में कलेक्ट्रेट परिसर में अधिवक्ताओं व वादकरियो से संबंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर 18 सूत्री मांगों का पत्रक दिया गया था ।
👉 पत्रकारवार्ता के दौरान सेंट्रल बार के महामंत्री सुरेंद्रनाथ पांडेय ने बताया कि उनके द्वारा 18 सूत्रीय मांग पत्रक दिया गया था, जिस पर क्रम संख्या 1,2,3,5,15 व 16 पर कार्य सुचारू रूप से संचालित है,कुछ पर कार्य हो चुके है कुछ अभी चल रहे है और बाकी पर होना बाकी है।
सीबिए द्वारा डीएम को दिए गए 18 सूत्रीय मांग
1.कलेक्ट्रेट परिसर की नियमित साफ-सफाई एवं कलेक्ट्रेट परिसर स्थित शौचालय यूरिनल की साफ सफाई करने हेतु नगर निगम/ प्रधान नाजिर कलेक्ट्रेट परिसर वाराणसी को आदेशित/निर्देशित करना।
2. कलेक्ट्रेट परिसर में जीर्ण शीर्ण सड़क व नाली की मरम्मत कराई जाए ताकि सुचारू रूप से आवागमन व जल निकासी हो सके।
3.कलेक्ट्रेट परिसर में आज तक महिला वादकारी व महिला अधिवक्ताओं के लिए शौचालय का निर्माण नहीं हुआ तत्काल महिला शौचालय का निर्माण करवाया जाए।
4. माननीय स्टाम्प मंत्री उत्तर प्रदेश रविंद्र जायसवाल जी की निधि से नवनिर्मित अधिवक्ता विश्रामालय में इंटरलॉकिंग कार्य करना ताकि अधिवक्ताओं की चौकिया में जल जमाव की समस्या उत्पन्न न हो एवं परिसर साफ सुथरा हो।
5. कलेक्ट्रेट परिसर में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें।
6. अभिलेखागार मॉल में समुचित कर्मचारियों की अनुपलब्धता के कारण अभिलेख का मुआयना व नकल विधि द्वारा उपलब्धि समय में नहीं मिल पाने के कारण वादकारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है का निदान अपने स्तर से करने की कृपा करें।
7. अभिलेखागार में जीर्ण शीर्ण अभिलेख व चकबंदी बंदोबस्त के पुनर्गठन के आदेश आपके पूर्वाधिकारियों व आप द्वारा कई बार दिया गया है परंतु प्रभारी अधिकारी अभिलेखागार द्वारा रुचि न लिए जाने के कारण अभिलेख के पुनर्गठन का कार्य बाधित है कृपया चकबंदी बंदोबस्त को संबंधित लेखपाल के पास उपलब्ध अभिलेख के आधार पर पुनर्गठित करने हेतु प्रभारी अधिकारी अभिलेखागार को आदेशित निर्देशित करने की कृपा करें।
8. राजस्व न्यायालय के पीठासीन अअधिकार मनमानी तरीके से जब मर्जी में आए कोर्ट में बैठते हैं उनके बैठने की कोई समय सारणी नहीं है जबकि राजस्व मैनुअल के अनुसार कार्यालय का समय प्रातः 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे एवं न्यायालय का समय प्रातः 10:30 से 4:30 बजे एवं दोपहर 1:00 से 2:00 बजे तक भोजनावकाश का समय निर्धारित है जबकि न्यायालय के पीठासीन अधिकारी विधायिका के मंसा के प्रतिकूल मनमानी तरीके से यहां तक की अमूमन भोजनावकाश के समय बैठते हैं व घंटे डेढ़ घंटे बैठने के पश्चात उठ जाते हैं एवं स्वयं में अपना कानून बना लिया है जो विधिक मंशा के प्रतिकूल है के संबंध में उचित दिशा निर्देश जारी करने की कृपा करें।
9. राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अक्सर पत्रावली को सुनने के बाद अनडेटेड सुरक्षित रख लेते हैं और महीना दो महीना अनडेटेड रखने के पश्चात बैक डेट आर्डर करते हैं जिससे सुरक्षित की गई पत्रावली में अधिवक्ता को बार-बार जाकर आदेश की जानकारी करनी पड़ती है एवं अनडेटेड पत्रावली रखे जाने के कारण भ्रष्टाचार की संभावना होती है एवं सही समय पर आदेश निर्णय की जानकारी न होने पर आदेश से छुपत् व्यक्ति को ऊपरी अदालत में जाने पर लीमिटेशन बाधित होने की समस्या से रूबरू होना पड़ता है, इस संबंध में आपके पूर्व अधिकारी द्वारा पत्रांक संख्या 211/ आर.ए. 2022 दिनांक 4.5.2022 के माध्यम से समस्त राजस्व न्यायालय के पीठासीनों को अवगत कराया गया था परंतु खेद की पूर्व निर्देश का पालन सामान्यत किसी कोर्ट द्वारा नहीं किया जा रहा है के संबंध में पूर्व पारित आदेश का कड़ाई से पालन हेतु संबंधित को निर्देशित किया जावे।
10. विवादित दाखिल खारिज की पत्रावली को राजस्व संहिता एवं उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार 90 दिन में निस्तारित करने का प्रावधान है परंतु खेद का विषय की नामांतरण की पत्रावलियां विभिन्न न्यायालयों 5 से 10 वर्ष से लंबित है जो अत्यंत आपत्तिजनक व भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
11. उपजिलाधिकारी सदर के कार्यालय में नोटिस लगाकर धारा 80 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के आवेदन के साथ 1356/1359 फसलों की खतौनी लेखपाल द्वारा हस्तांतरित नक्शा विडिए का अनापत्ति प्रमाण पत्र मौके का फोटोग्राफ जो नायाब तहसीलदार की उपस्थिति एवं समय के साथ हो एवं सर्किल रेट की कॉपी मांगी जा रही है जबकि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 80 एवं उत्तर प्रदेश राजस्व नियमावली 2016 के नियम 85 लगायत 88 में कोई ऐसी व्यवस्था या बाध्यता नहीं है कोई न्यायालय का पीठासीन अधिकारी विधायिका का कार्य नहीं कर सकती एवं स्वयं में कोई कानून नहीं बन सकता, पीठासीन विधायिका द्वारा बनाए गए कानून के अनुसरण में ही कार्य करें पीठासीन द्वारा मनमाने तरीके से बनाए गए नियम स्वेक्षाचारित पूर्ण एवं विधि के प्रतिकूल है अस्तु उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के सुसंगत प्रावधानों के विपरीत कोई नियम बनाना असंगत है के संबंध में संबंधित को निर्देश जारी करने की कृपा करें।
12. राजस्व न्यायालय में स्वत्व निर्धारण से संबंधित वादों में मौखिक सक्ष्य का अनुलेख नियम अनुसार नहीं किया जा रहा तथा विरचना एव निर्णय में उसका निस्तारण नहीं किया जा रहा है जो आपत्तिजनक है।
13. यह की दौरान बहस विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत विधि व्यवसाय का उल्लेख आदेश निर्णय में समानतया पीठासीन द्वारा नहीं किया जा रहा है जो न्यायिक अनुशासन भंग की कोटी में आता है।
14. तहसील स्तर पर राजस्व न्यायालय के अधिकारी कर्मचारी में भ्रष्टाचार चरम पर है के संबंध में अंकुश लगाया जाना आवश्यक है।
15. कलेक्ट्रेट परिसर में कई अवयस्क बच्चे बच्चियाँ भीख मांगते जूता पॉलिश इत्यादि करते मिल जाएंगे जो अधिवक्ताओं एवं वादकरियों को परेशान करते हैं इस संबंध में उन मासूम के परिजनों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध बाल श्रम निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने हेतु संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें।
16. कलेक्ट्रेट परिसर में दो पहिया चार पहिया वाहनों का प्रवेश पूर्णतया प्रतिबंधित हो ताकि 23 नवंबर 2007 जैसी आतंकी घटना की पुनरावृत्ति ना हो सके।
17. कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा चाक चौकस हो तथा संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखी जावे परिसर में अधिवक्ताओं की पंखे व टेबल कुर्सी की चोरी लचर सुरक्षा व्यवस्था के कारण बढ़ रही है जो चिंता जनक है।
18. कलेक्ट्रेट परिसर में चकबंदी न्यायालय के उत्तर एवं सोल्जर बोर्ड में स्थापित मोटरसाइकिल स्टैंड अधिवक्ताओं हेतु आरक्षित है परंतु ड्यूटी में तैनात सुरक्षा कर्मी की लापरवाही के कारण बाहरी व्यक्ति द्वारा अधिवक्ताओं हेतु आरक्षित स्टैंड का प्रयोग किया जा रहा है जिससे अधिवक्ताओं को भारी समस्या का सामना करना पड़ा है उस संबंध में सुरक्षा कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिया जाना आवश्यक है।
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