✍️✍️ अधिवक्ता के मामले में अभियुक्त को मिली जमानत
""कूटरचित व धोखाधडी का मामला""
वाराणसी: अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश देव कान्त शुक्ला की अदालत ने थाना कैंट में दर्ज कूटरचित व धोखाधड़ी के मामले में अभियुक्त मदन लाल पुत्र स्व विश्वनाथ निवासी थाना चौक जिला वाराणसी की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
""बचाव पक्ष की ओर से अदालत में अधिवक्ता अशोक यादव ने पक्ष रखा""
👉 अभियोजन कथानक के अनुसार प्रार्थी दीपक गुप्ता एडवोकेट पुत्र स्व० सोहन लाल गुप्ता निवासी मकान नं० सी. के.48/181ए हडहा सराय राजा दरवाजा थाना चौक, जिला वाराणसी का है। उपरोक्त मकान प्रार्थी के दादा स्व० विश्वनाथ व उनके बड़े भाई स्व० शिवमूरत साव की संयुक्त सम्पत्ति थी जिसमें पूर्वी भाग स्व० शिवमूरत साव व पश्चिमी भाग स्व० विश्वनाथ साव का था। प्रार्थी के बड़े दादा स्व० शिवमूरत साव की मृत्यु के पश्चात उनके हिस्से यानि मकान के पूर्वी भाग पर एकमात्र उत्तराधिकारी स्व० शिवमूरत साव की पत्नी जालपा देवी काबिज दाखिल हुई। स्व० जालपा देवी के हिस्से में भूतल पर चार दुकाने निर्मित थी। दिनांक 18.12.2000 को जालपा देवी ने पंजीकृत वसीयत उपरोक्त कान के पूर्वी हिस्से के भूतल पर स्थित चारो दुकान मय समस्त निर्माण प्रार्थी के बडे पिता मोहन लाल प्रार्थी के पिता सोहन लाल व चाचा मदन लाल के हक में कर दिया जो उप निबंधक द्वितीय, वाराणसी के कार्यालय में दर्ज है। वर्ष 2005 में जालपा देवी की मृत्यु के पश्चात भूतल पर स्थित चारो दुकानों व जालपा देवी के हिस्से में अन्य निर्माण पर प्रार्थी के बडे पिता मोहन लाल प्रार्थी के पिता सोहन लाल व चाचा मदन लाल संयुक्त रूप से काबिज दखल हुए बड़े पिता जी के मृत्यु के पश्चात वर्ष 2017 में उनके उच्चाधिकारियों द्वारा सम्पूण अंश प्रार्थी व प्रार्थी के भाई आशीष गुप्ता के हक में जरिये रजिस्टर्ड दान पत्र विलेख अन्तरित कर दिया गया उपरोक्त चारो दुकानों में से तीन दुकान सम्मिलित रूप से किराये पर दिया गया था तथा उत्तर से तीसरी दुकान जिसके सामने सीढ़ी है सम्मिलित रूप से इस्तेमाल करने हेतु छोड दिया गया, जिसमें प्रार्थी व प्रार्थी के चाचा मदन लाल का सामान रखा हुआ था। माह सितम्बर 2021 में प्रार्थी व प्रार्थी के चाचा मदन लाल का सामान रखा हुआ था माह सितम्बर 2021 में प्रार्थी के चाचा मदन लाल प्रार्थी से बोले कि प्रार्थी सीढ़ी के सामने वाले दुकान में रखा अपना सामानहटा ले उसे वह बेचना चाहते है। प्रार्थी ने जब अपने चाचा मदन लाल से कहा कि सीढी के सामने वाले दुकान में प्रार्थी व उसके भाई का भी हिस्सा है जिसको प्रार्थी के हक में रजिस्टर्ड दान पत्र विलेख अन्तरिम किया गया है उसे वह अकेले नहीं बेच सकते है तब चाचा मदन लाल ने बताया कि उक्त दुकान को वर्ष 2002 में जालपा देवी ने उनको बेच दिया है तब से उक्त दुकान के तनहा मालिक वही है तथा विकय पत्र की छायाप्रति प्रार्थी को देखने हेतु दिया। प्रार्थी के चाचा मदन लाल द्वारा उपलब्ध कराये गये विक्रय विलेख के कूटरचित होने का अन्देशा हुआ जिस पर प्रार्थी द्वारा उक्त विक्रय विलेख पर उपस्थित स्व० जालपा देवी के अंगूठा के निशान का मिलान हैंड राईटिंग एण्ड फिगर प्रिन्ट एक्सपर्ट विकास श्रीवास्तव रसमण्डल जौनपुर से कराया जिस पर विशेषज्ञ द्वारा यह रिपोर्ट दिया गया कि विक्रय विलेख पर उपस्थित अंगूठा का निशान जालपा देवी द्वारा निष्पादित वसीयत पर उपस्थित उनके अंगूठे के निशान से मेल नहीं खाता है। उक्त रिपोर्ट के बाद प्रार्थी को ज्ञात हुआ कि प्रार्थी के चाचा मदन लाल प्रार्थी को धोखा देने व प्रार्थी के हिस्से को हडपने की नियत से षडयन्त करते हुए स्व० जालपा देवी के अंगूठा का निशान उपस्थित होकर किसी अन्य का है तथा उक्त कूटरचित विक्रय विलेख के आधार पर प्रार्थी के चाचा मदन लाल प्रार्थी के अंश को हड़पने की नियत से उपरोक्त दुकान को स्वयं तनहा मालिक दर्शाते हुए बेचने की फिराक में है।
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