✍️✍️ CSR फंड दिलाने के नाम पर 21 लाख की ठगी: अदालत ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका की खारिज
वाराणसी। सत्र न्यायालय के न्यायाधीश जय प्रकाश तिवारी की अदालत ने थाना रोहनिया में दर्ज धोखाधड़ी व आपराधिक विश्वासघात के गंभीर मामले में आरोपी सुमित श्रीवास्तव की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
""अदालत में अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध जिला शासकीय फौजदारी अधिवक्ता मुनीब सिंह चौहान ने किया""
👉अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी अभिनव शुक्ला, जो पीलीभीत में गायत्री विद्या मंदिर नामक शिक्षण संस्थान संचालित करते हैं, को आईना ऑर्गनाइजेशन नामक संस्था से फोन आया था, जो वाराणसी में स्थित है। वादी प्रोजेक्ट के सिलसिले में आईना के कार्यालय पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात संस्था के अध्यक्ष सुमित श्रीवास्तव से हुई। सुमित ने वादी को 6 करोड़ रुपये के CSR फंड को पास करवाने का भरोसा दिलाया और इसके एवज में 12 लाख रुपये की मांग की।
👉सुमित ने वादी के साथ एक लिखित समझौता किया, जिसमें उल्लेख था कि यदि वह चार महीने के भीतर फंड पास नहीं करवा सका, तो वादी की पूरी राशि वापस की जाएगी। वादी ने भरोसा करते हुए ऑनलाइन माध्यम से किस्तों में 12 लाख रुपये ट्रांसफर किए, जिसके दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं। इसके बाद सुमित श्रीवास्तव लगातार अन्य बहानों से भी वादी से पैसा मांगता रहा — जैसे मुंबई के होटल का बिल, फ्लाइट टिकट आदि। ठगी को विश्वसनीय दिखाने के लिए सुमित ने दो फर्जी कॉल रिकॉर्डिंग्स भी भेजीं। इस तरह वादी अब तक कुल 21 लाख रुपये सुमित को दे चुका था।
👉 दिसंबर 2023 में जब वादी की मुलाकात आईना संस्था से जुड़े एक अन्य व्यक्ति आशीष से हुई, तो उसने बताया कि संस्था को केवल 3 लाख रुपये की जानकारी है, और बाकी की कोई जानकारी नहीं है। साथ ही उसने यह भी स्पष्ट किया कि सुमित का मुंबई जाना महज कुछ दिन का व्यक्तिगत दौरा था, न कि संस्था का कोई प्रोजेक्ट। इसके बाद वादी ने कई बार सुमित से अपना पैसा वापस मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वादी को यह भी पता चला कि सुमित के खिलाफ कई स्थानों पर ठगी की शिकायतें और एफआईआर दर्ज हैं और अब आईना का कार्यालय भी बंद हो चुका है।
वादी ने बताया कि उसने यह रकम कर्ज लेकर दी थी और अब वह मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से बेहद परेशान है।
अदालत ने मामले की गंभीरता और ठगी के सुनियोजित ढंग को देखते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
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