✍️✍️ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के मामले में 2 आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
वाराणसी: सत्र न्यायालय के न्यायाधीश जय प्रकाश तिवारी की अदालत ने थाना सिगरा में दर्ज धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के एक मामले में आरोपी सौरभ गुप्ता व ऋषभ सिंह रघुवंशी कि ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
""अदालत में जिला शासकीय फौजदारी अधिवक्ता मुनीब सिंह चौहान ने जमानत प्रार्थना पत्र का जोरदार विरोध किया""
मामले का संक्षिप्त विवरण:
👉 अभियोजन के अनुसार, वादी अभिजीत अग्रवाल व उनका भाई अभिषेक अग्रवाल एक रिहाशीय मकान की तलाश कर रहे थे, जिस पर लोन की सुविधा भी उपलब्ध हो जाए । वादी को सरिता विश्वकर्मा ने 'एम के इन्फ्राटाउन' नाम की कंपनी के बारे में जानकारी दी व यह विश्वास दिलाया की उक्त कंपनी का काम साफ सुथरा है व खुद भी उक्त कम्पनी में जानकारी दी और यह विश्वास दिलाया कि उक्त कंपनी का काम साफ-सुथरा है व खुद भी उक्त कंपनी में कर्मचारी है।
👉 एम के इन्फ्राटाउन के डायरेक्टर ऋषभ सिंह और सौरभ गुप्ता एव अन्य दो अज्ञात व्यक्ति उक्त कंपनी के कार्यालय पर वादी से मिले। विपक्षीगण ने वादी को श्री राम सोसाइटी, रोहनिया में स्थित मौजा दरेखू, परगना कसवार राजा तहसील राजा तालाब, जिला वाराणसी के कई आराजियो में अपने को कथित मालिक बताया गया जिसका इकरारनामा अपने कथित कंपनी के नाम से किया हुआ वादी को दिखाया व इसके अन्य दस्तावेज जैसे विक्रय विलेख की कथित एग्रीमेंट खतौनी नक्शा आदि दिखाए इसके बाद वादी ने उक्त दस्तावेज की जांच पड़ताल की गई सब कुछ सही अपने पर वादी को 600 (1540) वर्गफीट के रेट से ₹15,00,000/- (पंद्रह लाख रुपये) में जमीन तथा उक्त जमीन में एक फ्लोर फिनिशिंग निर्माण करके ₹15,00,000/- (पंद्रह लाख रुपये) में, यानी कुल ₹30,00,000/- (तीस लाख रुपये) में विपक्षीगण से खरीदने का तय व पोख्ता हुआ जिसमे विपक्षीगण उपरोक्त के उक्त कंपनी को वादी ने अपने भाई के नाम से कुल ₹1,00,000/- (एक लाख) रुपये विपक्षी के कंपनी के अकाउंट में दिया गया, जिसकी पावती दिनांक 05.04.2024 को उक्त कंपनी द्वारा वादी के भाई के नाम से उक्त जमीन के एवज में दिया। जिसके बाद विपक्षीगण द्वारा उक्त आराजी में जमीन न देकर दूसरी आराजी के एक किसान से एग्रीमेंट करवा दिया गया और कहा गया कि उक्त आराजी में अब उनकी पार्टनरशिप नहीं है,इसी आराजी की जमीन है और इस पर भी लोन हो जाएगा जिस पर वह तैयार हो गया लेकिन उसको उक्त आराजी का चकबंदी पर होने के कारण लोन नहीं मिल सकता है। वादी ने विपक्षीगण से अपने अग्रिम धनराशि को वापस करने की मांग किया जिस पर विपक्षीगण ने वादी को आश्वासन दिया कि जुलाई तक अग्रिम धनराशि का भुगतान भी कर देंगे। विपक्षीगण द्वारा टाल मटोल किया जाता रहा वादी अपने पैसे लेने के लिए विपक्षीगण के पास गया तो विपक्षीगण उग्र होकर वादी को भद्दी-भद्दी गलियां देते हुए कहे की तुम साले वादी इस पर तैयार हो गया, भिखारी बार बार आ जाते हो जाओ अब तुम पैसे भूल जाओ अगर दोबारा यहां दिखे तो जान से मार देगे। वादी भयभीत होकर अपने घर आ गया और आज तक उसको उक्त धनराशि नहीं मिली ।
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