✍️ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में कोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला


""नहीं बदले जाएंगे कोर्ट कमिश्नर""

"" दो अतिरिक्त सहायक कमिश्नर होंगे नियुक्त""

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में कोर्ट ने अपने आदेश में सुनाया की प्रार्थनापत्र 56ग प्रस्तुत कर कहा गया कि वकील कमीश्वर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर माननीय न्यायालय स्वयं या उनकी जगह किसी दूसरे वरिष्ठ वकील कमिश्नर को नियुक्त करें। मुख्य आधार यह लिया गया है कि वकील कमिश्नर उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। वकील कमिश्नर पक्षपातपूर्ण होकर यादीगण के दबाव में काम कर रहे हैं। अन्य बातें भी प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा अपने प्रार्थनापत्र में कही गयी हैं।

प्रतिवादी संख्या 1 उत्तर प्रदेश सरकार जरिए मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार प्रतिवादी संख्या 2 जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी तथा प्रतिवादी संख्या 3 पुलिस आयुक्त, वाराणसी की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) द्वारा प्रार्थनापत्र पर अंकित किया गया कि समय 1:40 PM पर नकल प्राप्त किया, सख्त आपति है। कमीशन कार्यवाही कल दिनांक 06.05.2022 को लगभग ढाई घण्टे चली है और आज शेष कमीशन कार्यवाही होना है। कल सूचनानुसार आज का उपरोक्त समय निर्धारित है।

इस संबंध में बादिनीगण की ओर से आपति 62ग प्रस्तुत कर कहा गया है कि 56ग में अधिवक्ता कमिश्नर पर लगाये गये आरोप असत्य एवं निराधार है। प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा पारित अवरोधों के कारण कमीशन की कार्यवाही दिनांक 07.05.2022 को आगे नहीं बढ़ सकी। अन्त मे वादिनीगण द्वारा प्रार्थनापत्र को निरस्त होने योग्य कहा गया है।


प्रतिवादी संख्या 4 के द्वारा प्रतिआपति 64ग मय शपथपत्र 65ग प्रस्तुत कर

कहा गया है कि वादिनीगण की आपति 62ग निरस्त करते हुए प्रार्थनापत्र 56 ग स्वीकार किया जाए।


मेरे द्वारा सम्पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया। इस संबंध में प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा कहा गया है कि वकील कमीश्वर श्री अजय कुमार मिश्रा को हटाकर माननीय न्यायालय स्वयं या उनकी जगह किसी दूसरे वरिष्ठ वकील कमिश्रर को नियुक्त करें। मुख्य आधार यह लिया गया है कि वकील कमिश्नर उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है। वकील कमिश्रर पक्षपातपूर्ण होकर वादीगण के दबाव में काम कर रहे हैं। प्रतिवादी संख्या 1 उत्तर प्रदेश सरकार जरिए मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार प्रतिवादी संख्या 2 जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी तथा प्रतिवादी संख्या 3 पुलिस आयुक्त, वाराणसी की और से जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) द्वारा प्रार्थनापत्र पर अंकित किया गया कि समय 1:40 P.M पर नकल प्राप्त किया. सख्त आपति है। कमीशन कार्यवाही कल दिनांक 06.05.2022 को लगभग ढाई घण्टें चली है और आज शेष कमीशन कार्यवाही होना है। वादिनीगण द्वारा कहा गया है कि प्रार्थनापत्र 56ग में अधिवक्ता कमिश्नर पर लगाये गये आरोप असत्य एवं निराधार है। प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा पारित अवरोधों के कारण कमीशन की कार्यवाही दिनाँक 07.05.2022 को आगे नहीं बढ़ सकी। इस संबंध में यह तथ्य उल्लेखनीय है कि वादिनीगण द्वारा तथा प्रतिवादीगण संख्या 1 ता 3 के द्वारा कमीशन की कार्यवाही को सही एवं निष्पक्ष बताया गया है। अधिवक्ता कमिश्नर के द्वारा न्यायालय के समक्ष मौखिक रूप से कहा गया है कि उनके द्वारा न्यायालय के आदेशानुसार सही एवं निष्पक्ष कमीशन कार्यवाही की जा रही है। दौरान बहस वादिनीगण के अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि कमीशन कार्यवाही अभी मात्र प्रारम्भ ही हुई है और प्रतिवादी संख्या 4 के द्वारा अधिवक्ता कमिश्नर को प्रश्नांकित कर दिया गया है। न्यायालय के मतानुसार यह कमीशन कार्यवाही एक सामान्य कमीशन है, जो कि अधिकतर सिविल वादों में सामान्यतः करवायी जाती है और शायद ही कभी अधिवक्ता कमिश्नर को प्रश्नांकित किया जाता हो। इस साधारण से सिविल वाद को बहुत ही आसाधारण बनाकर एक डर का माहौल पैदा कर दिया गया। डर इतना है कि मेरे परिवार को बराबर मेरी तथा मुझे अपने परिवार की सुरक्षा की चिन्ता बनी रहती है। घर से बाहर होने पर बार-बार पत्नी के द्वारा सुरक्षा के प्रति चिन्ता व्यक्त की जाती है। कल लखनऊ में माता जी ने भी बातचीत के दौरान मेरी सुरक्षा को लेकर चिन्ता व्यक्त की और मीडिया द्वारा प्राप्त खबरों से उन्हें यह जानकारी हुई कि शायद में भी कमिश्नर के रूप में मौके पर जा रहा हूँ और मेरी माता जी के द्वारा मुझे मना किया गया कि मैं मौके पर कमीशन पर न जाऊं, क्योंकि इससे मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। प्रश्नगत मामले में अभी तक वकील कमिश्नर के द्वारा आंशिक रूप से कमीशन की कार्यवाही सम्पादित की गयी है और इस स्तर पर अधिवक्ता कमिश्नर पर उंगली उठाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। न्यायालय प्रतिवादी संख्या 4 के कथनों में कोई बल नहीं पाती है कि अधिवक्ता कमिश्नर श्री अजय कुमार मिश्रा को हटाकर किसी अन्य से कमीशन कार्य करवाया जाए। किन्तु न्यायिक व्यवस्था में एक उक्ति बहुत प्रचलित है कि "न्याय होना ही नहीं चाहिए वरन न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए।" अतः प्राथनापत्र 56ग इस आशय के साथ निस्तारित किया जाता है कि वकील कमिश्नर श्री अजय कुमार मिश्रा के साथ अधिवक्ता श्री विशाल सिंह रजिस्ट्रेशन नं० यू० पी० 9222/2007 को विशेष अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया जाता है तथा सहायक अधिवका आयुक्त के रूप में अधिवक्ता श्री अजय प्रताप सिंह रजिस्ट्रेशन नं० यू० पी० 6689/2008 को अधिवका आयुक्त नियुक्त किया जाता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि अधिवक्ता आयुक्त श्री अजय कुमार मिश्रा तथा विशेष अधिवक्ता आयुक्त श्री विशाल सिंह संयुक्त रूप से कमीशन कार्यवाही सम्पादित करेंगे। यदि दोनों में से कोई एक किसी कारण से कमीशन कार्यवाही हेतु उपस्थित नही होता है तो एक को अधिकार होगा कि वह कमीशन कार्यवाही सम्पूर्ण करे अर्थात यदि श्री अजय कुमार मिश्रा अनुपस्थित होते हैं तो श्री विशाल सिंह कमीशन की कार्यवाही को सम्पादित करेंगे और यदि श्री विशाल सिंह अनुपस्थित होते हैं तो श्री अजय कुमार मिश्रा कमीशन की कार्यवाही को सम्पादित करेंगे। यह आदेश न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेश के अनुक्रम में माना जाएगा। जिला प्रशासन किसी भी प्रकार का बहाना बनाकर कमीशन कार्यवाही को टालने का प्रयास नहीं करेंगे। अधिवक्ता आयुक्तगण को नियमानुसार रिट परवाना जारी हो वादिनीगण आवश्यक पैरवी अविलम्ब करें। अधिवक्ता आयुक्तगण अविलम्ब सूचित हो। पत्रावली नियत दिनाँक 17.05.2022 को पेश हो।

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