✍️ दुकानदार द्वारा महिला से छेड़छाड़ करने का मामला

 

""आरोपी हुआ दोषमुक्त""

वाराणसी: सिविल जज (जु.डी) न्यायालय के न्यायाधीश शक्ति सिंह की अदालत ने महिला का हाथ पकड़कर छेड़छाड़ करने के मामले में आरोपी अमरनाथ पुत्र किशोरी लाल को दोषमुक्त कर दिया।

बचाव पक्ष की ओर से अदालत में अधिवक्ता उदय नारायण सिंह, श्रीकान्त प्रजापति और संजय कुमार विश्वकर्मा ने पक्ष रखा।

👉संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार प्रार्थी पूजा भारद्वाज पुत्री राजकुमार भारद्वाज लोहिया नगर आशापुर थाना सारनाथ जनपद वाराणसी की रहने वाली है। पूजा भारद्वाज मैहर इलक्ट्रानिक्स श्रीनगर बाजार पर टी0 वी0 का रिमोट लेने गयी थी, जब वह रिमोट लेकर पैसा देने लगी तो दुकानदार अमरनाथ पुत्र किशोरीलाल ने उसका हाथ पकड़कर दुकान के अन्दर खिचने लगा और उसके साथ जबरदस्ती करने का प्रयास किया। किसी तरह वह अपनी जान बचा कर भागी और घर आकर घटना के बारे में घर वाले को बताया। आवश्यक कानूनी कार्यवाही करने का निवेदन किया गया।

👉आरोपी के ओर से अदालत में विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने अंतिम तर्क में कथन किया गया कि अभियोजन गवाहों के कथन में महत्त्वपूर्ण विरोधाभास है। अभियोजन गवाहों द्वारा रंजिश के कारण झूठा बयान न्यायालय में दिया गया है। अभियोजन अपने मामले को साबित करने में असफल रहा है। साक्षी पूजा भारद्वाज द्वारा अपने जिरह में कथन किया गया की थाने पर जो प्रार्थना पत्र दिया गया था,उसे चाची ने लिखा था और हस्ताक्षर मैने बनाए थे। जब मैंने अमरनाथ से रिमोट मांगा तब उसने दो-तीन रिमोट दिखाया और उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें जानता हूं। यह बात मैंने थाने पर प्रार्थना पत्र में लिखवाया था। लेकिन प्रार्थना पत्र में यह बातें क्यों नहीं लिखी हैं यह वह नहीं बता सकती। उसने मेरे मामा के लड़के को भी गाली दिया था। यह बातें भी मैंने प्रार्थना पत्र में बताई थी लेकिन क्यों नहीं लिखी हमें कारण नहीं बता सकती। अभियुक्त का नाम मुझे तब पता चला जब पुलिस ने थाने पर मुलजिम की शिनाख्त करवाई। मैं कक्षा तीन तक पढ़ी हूँ। मैं जब तेरह चौदह वर्ष की थी तब कक्षा तीन पास किया था। मैने थाने पर किसी व्यक्ति से लिखवा कर दिया था। मैंने खुद नहीं लिखा था। तहरीर मेरी चाची ने लिखवाया था। चाची ने किससे लिखवाया था मैं नहीं बता सकती घटना होने के 2 घंटे बाद हम ने थाने में प्रार्थना पत्र दिया था। उस दौरान मे घर पर भी गई थीं।

👉माननीय न्यायालय द्वारा विद्वान सहायक अभियोजन अधिकारी तथा आरोपीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों व दलीलो को सुनकर उक्त मुकदमे में आरोपी अमरनाथ को दोषमुक्त कर दिया।

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